shabd-logo

******पिंजरा******

2 अक्टूबर 2022

11 बार देखा गया 11

           कितना सुख है बंधन में, रजनी गंधा---

      कहीं दूर से इस गाने की आवाज आ रही थी।रमेश ने पूरे घर की अकेले सफाई कर ली थी।बिटिया सोनिया का कमरा उसने बड़ी ही तन्मयता से साफ किया,कौन सी चीज सोनिया कहाँ रखती थी, वो सब उसने सोच सोच कर उसी की रुचिनुसार सजाया था।इतना करने पर वो निम्मी के कमरे की तरफ बढ़ा, आज उस कमरे को दो साल बाद खोलने जा रहा था।निम्मी के जाने के बाद रमेश ने उस कमरे में जाना ही बंद कर दिया था।उस कमरे में उसका दम सा घुटता था, सामने निम्मी आकर खड़ी हो जाती जिसे वो महसूस तो करता, पर पा नही सकता था।वो निम्मी तो सोनिया को सौप उसे छोड़ अनंत यात्रा पर चली गयी थी।

      25 वर्ष पूर्व एक प्रतिष्ठित कंपनी में रमेश की नयी नयी नौकरी लगी थी।हैण्डसम व्यक्तित्व, वाचाल पर सभ्य रमेश कुछ ही दिनों में अपने आफिस में अपने साथी कर्मचारियों का चहेता बन गया था।महिला हो या पुरुष सभी उससे मित्रता की चाह रखते।लंच सभी साथ करते और उस समय रमेश सभी से ऐसा घुल मिल जाता, मानो सब एक ही परिवार के सदस्य हो।

     पर निम्मी संकोची स्वभाव होने के कारण चाहते हुए भी रमेश से बात नही कर पाती, बस दूर से निहारती रहती। रमेश ने महसूस किया कि निम्मी उसे कनखियों से दूर से ही देखती रहती है, पर कभी दूसरी महिला सहकर्मियों की तरह किसी वार्तालाप में हिस्सा नही लेती।रमेश ने पहली बार निम्मी को भरपूर निगाहों से देखा।सलोना रूप सादगी भरी वेशभूषा और शालीन व्यक्तित्व से ओतप्रोत निम्मी को वो देखता ही रह गया।उसे लगा अरे वो ये ही तो है, जिसे अचेतन मन ढूंढ़ रहा था।

      अब रमेश की हरचंद कोशिश होती कि वो, वो बात करे जिससे निम्मी के चेहरे पर मुस्कान आ जाये।एक स्वछंद व्यक्तित्व मानस अनायास ही अनजाने बंधन में बंधता जा रहा था।रमेश बीमार भी होता तो भी ऑफिस अवश्य आता,निम्मी को वो औझल नही होने दे सकता था।

     आखिर एक दिन उसने निम्मी से उसका हाथ मांग ही लिया।दोनों बंध गये अटूट बंधन में।जीवन की तमाम अभिलाषाएं मानो पूरी हो गयी।समय पंख लगाए उड़ने लगा।दो साल बाद ही सोनिया रूप में एक परी भी आ गयी।इतनी खुशियां भगवान ने बिन मांगे ही दे दी थी।

        ऑफिस में ही फ़ोन की घंटी बजी,उधर से किसी ने रमेश को सूचना दी कि आपकी पत्नी का एक्सीडेंट हो गया है, आप सिविल हॉस्पिटल पहुंच जाएं।बदहवास सा रमेश पागलो की भाँति दौड़ता हुआ हॉस्पिटल पहुँचा, पर तब तक तो सब कुछ समाप्त ही हो गया था।आज रमेश के जन्मदिन पर सरप्राईज गिफ्ट लेने सोनिया को मेड के पास छोड़ बाजार गयी थी,निम्मी।

      सरप्राईज गिफ्ट ही तो था, जो बिना बोले, बिना कुछ कहे एक गुड़िया को मेरे भरोसे छोड़, बंधन मुक्त हो गयी।निर्दयी कही की,कुछ भी ना सोचा, मैं कैसे जिऊँगा?एक झटके में रमेश वर्तमान में आ गया।उसने फिर अपने उस कमरे मे अपना आशियाना नही बनाया।बस जब सोनिया बड़ी हुई तो वो ही उस कमरे की सफाई करती।

     सोनिया को रमेश ने माँ बन पाला और फिर शादी भी कर दी।दामाद U K में जॉब कर रहा था।दो वर्ष बाद सोनिया अपने पति के साथ आ रही थी, उसने अपने पति को भारत मे ही जॉब करने को मना लिया था।

       फोन पर कह रही थी, पापा मैं आ रही हूँ आपके पास।क्या एक बात मानोगे पापा?बोल बेटी, मेरी गुड़िया बोल तो सही।पापा कल मैं आपके पास आऊंगी तो क्या आप और मैं मम्मा के कमरे में पहले की तरह नहीं सो सकते?पापा बस एक बार।

     क्या जवाब देता रमेश,उसे अहसास था,निम्मी अब भी ऊपर से उसे कनखियों से देख रही थी, उसकी मौन आंखों में भी यही अभिलाषा थी।

      आज रमेश ने खुले पिंजरे में खुद ही पंछी को जाते देखा और खुश देखा, प्रसन्न देखा--------!

              बालेश्वर गुप्ता

                        पुणे(महाराष्ट्र)

मौलिक

बालेश्वर गुप्ता की अन्य किताबें

1

******मानवीयता******

23 सितम्बर 2022
0
0
0

              पापा, प्लीज जरा दो किलो आलू और एक किलो प्याज सब्जी मंडी से ला दीजिये।ये बैग और पैसे मैं रखे जा रही हूँ और हाँ पापा 4 पैकेट दूध भी ले आना।हो सके तो मुन्ना के लिये बिस्किट भी डाल लेना।   

2

******सुनी कलाई पर रक्षा सूत्र******

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

         माँ, तुम ठीक तो हो ना?आज रक्षाबंधन है, पर मेरी तो कोई बहन ही नही है, अब तक हमेशा कलाई सूनी ही रही है माँ, दूसरे लोगो के हाथ मे राखी और बाजार में अपनी बहनों के लिये खरीदते लोगो को देख, मेर

3

*****उतरना नशे का*******

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

                   मानसी, क्यों तुम हमेशा मुझे इस प्रकार से जलील करती रहती हो, क्यों तुम्हें मुझसे एलर्जी सी हो गयी है?       ये सब तुम्हें लगता है, मेरी जरा सी बात भी तुम्हे चुभती है।असल में तुम मेर

4

*******मुन्ना का प्यार*****

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

                    ये क्या बोल रहे हो, बेटा?तुम अमेरिका चले जाओगे तो हम इस उम्र में कैसे जी पायेंगे?यहाँ अपने देश में क्या कमी है, मुझे और तेरी मां दोनों को खूब पेंशन मिलती है, तुम भी कमा ही रहे हो,

5

*******वो पराया पर अपना********

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

                      अभी पिछले दिनो मैंने जगदीश भाई से वृद्धाश्रम में वीडियो कॉल पर बात की।उनके माथे पर पट्टी बंधी थी।मैंने चौंककर जगदीश भाई से उनको लगी चोट के बारे में पूछा।मैंने उनसे उनके पास आने क

6

******पिंजरा******

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

           कितना सुख है बंधन में, रजनी गंधा---       कहीं दूर से इस गाने की आवाज आ रही थी।रमेश ने पूरे घर की अकेले सफाई कर ली थी।बिटिया सोनिया का कमरा उसने बड़ी ही तन्मयता से साफ किया,कौन सी चीज सोनिय

7

****** तिरस्कार*******

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

                  देखो रामू काम निबटा कर, ड्राइंग रूम से ये टूटी कुर्सी हटा कर पीछे कर देना, वहां से ये दिखायी नही देगी। ठीक है बाबू सरकार, बस थोडी देर में ही रख दूंगा।      रमेश अपने 55 वर्षीय नौकर

8

******त्याग, तपस्या या समर्पण******

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

              अरे नरेंद्र कहाँ चला गया, जल्द आ।      मैं कहीं नही गया बापू, मैं यहीं हूँ। जल्दी से केतली में गर्म चाय भर ले, देख ट्रेन आने वाली है, प्लेटफॉर्म पर पहुंच जा।आज तो नाम मात्र की बिक्री ह

9

**** एक ऐसा भी सौदा****

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

              अब रजनीश ठीक हो जायेगा ना,फुसफुसाते अर्ध बेहोसी में बार बार रमेश के मुँह से यही शब्द निकल रहे थे।        अस्पताल के बिस्तर पर पड़े रमेश को अब धीरे धीरे होश आ रहा था।उसी अवस्था में रमेश क

10

***** बिजली*****

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

           अचानक आकाशीय बिजली की भीषण गड़गड़ाहट, साथ ही जोर की बरसात और इधर धरती की बिजली गायब, यानि घोर अंधेरा।      आजकल घर में आपात काल के लिऐ भी मोमबत्ती शायद ही उपलब्ध होती है, इसलिए अंधेरे में

11

****** बोलेगी ना पापा*****

2 अक्टूबर 2022
0
0
0

                मैं कहां हूं, यहां मैं कैसे आ गया, बेटा बताओ तो मुझे क्या हुआ है?         नाक पर ऑक्सिजन का मास्क , शरीर हिलने डुलने जैसा भी नही, कमर पर ,हाथ पर बेल्ट, सबकुछ असामान्य सा, पर धीरे धीरे

---

किताब पढ़िए