तुम क्रांतिवीर तुम महावीर तुम 'भारत' तुम सबसे धीर .
क्यों उदास तुम क्यों निराश ,क्यों डरे हुए तुम क्यों हताश ..
हार तुम्हारा क्या बिगाड़े,तुम हो असंगज अजयवीर .
न दे कोई साथ तुम्हारा ,अकेले ही बढ़े चलो ..
हे क्रांतिवीर ! उठो चलो और बढ़े चलो .
न रुको तुम न थमो तुम ,बढ़े चलो बस बढ़े चलो .
काटों को सरताज मन ,मुश्किलों को अपना मित्र मान .
न हटो तुम न डिगो तुम ,बढ़े चलो बस बढ़े चलो ..
मानवता के अग्रदूत , भारतीयता के अनुयायी हो .
मंजिल नहीं तेरी आसान ,लेकिन बढ़े चलो बस बढ़े चलो ..
देवत्व तुझमें समा गया ,अमावस में चांदनी से नहा .
न झुको तुम न डरो तुम ,बढ़े चलो बस बढ़े चलो ..
तेरे चलने से देखना सिंहासन इंद्र का डोलेगा .
षडयंत्र करेगा वो फिर कोई ,लेकिन बढ़े चलो बस बढ़े चलो ..
माना अँधेरा बहुत घना, पर रात्रि में तू सूर्य निकाल.
न होना निराश न होना उदास , बढ़े चलो बस बढ़े चलो ..
यहाँ 'भारत ' शब्द का तात्पर्य हर भारतवासी से है ..