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shivanshtiwari

शिवांश तिवारी

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shivanshtiwari

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पुस्तक के भाग

1

ओ मेरे प्यारे भारत !

5 जून 2015
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जनगण की शक्ति हो , मेरे अभिमान हो . ओ मेरे प्यारे भारत ! सारे विश्व से महान हो . तेरे लिए ये जीवन तुझको समर्पित है . विविधता का एक रूप सब से बलवान हो..

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जीवन उद्देश्य

22 जून 2015
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उस राह के राही बने हम , जहाँ देश भक्त सिर कटवायें . भारत माता के चरणों में , जीवन अर्पित करते जायें .१. जो माटी वीरों रक्त सानी, हम उसका तिलक लगायें . श्री राम-कृष्ण की भूमि पर , 'शिवांश' कुछ करके दिखलायें .२. अलगाव को भूलकर के हम , सभी समाज एक हो जायें, क्या हिन्दू सिक्ख ,क्या मुस्

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क्रांतिवीर ! बढ़े चलो

25 जून 2015
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तुम क्रांतिवीर तुम महावीर तुम 'भारत' तुम सबसे धीर . क्यों उदास तुम क्यों निराश ,क्यों डरे हुए तुम क्यों हताश .. हार तुम्हारा क्या बिगाड़े,तुम हो असंगज अजयवीर . न दे कोई साथ तुम्हारा ,अकेले ही बढ़े चलो .. हे क्रांतिवीर ! उठो चलो और बढ़े चलो . न रुको तुम न थमो तुम ,बढ़े चलो बस बढ़े चलो . काटों को

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