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बापु जी मेरे सपनों में

28 दिसम्बर 2024

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फूट-फूटकर रोने लगे वे दुःख में,
एक दिन बापूजी आए मेरे सपनों में।

बोले, क्या हो गया है देश में,
नेता बन गए भक्षक इस देश में।
प्राण दिए थे जिस उम्मीद में,
भाईचारा सदा रहेगा मेरे देश में।

गांधीजी समझा गए मेरे सपनों में,
एक दिन बापूजी आए मेरे सपनों में।

अनेक रंग हैं मेरे देश में,
बहुत प्यार है सबके दिलों में।
मिल-जुलकर ज्योति जलाओ,
मानवता की।

सींचा था हमने जैसे आज़ादी को,
एक दिन बापूजी आए मेरे सपनों में।

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बापु जी मेरे सपनों में
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फूट-फूटकर रोने लगे वे दुःख में, एक दिन बापूजी आए मेरे सपनों में। बोले, क्या हो गया है देश में, नेता बन गए भक्षक इस देश में। प्राण दिए थे जिस उम्मीद में, भाईचारा सदा रहेगा मेरे देश में। गांधीजी समझा गए मेरे सपनों में, एक दिन बापूजी आए मेरे सपनों में। अनेक रंग हैं मेरे देश में, बहुत प्यार है सबके दिलों में। मिल-जुलकर ज्योति जलाओ, मानवता की। सींचा था हमने जैसे आज़ादी को, एक दिन बापूजी आए मेरे सपनों में।

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