पिंजरेका दरवाजा खुलने दे।
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क्या हुआ जो मैं स्त्री हूँ, सम्मान के लिए जीती हूँ। आजादी का बिगुल बजाने दे, चल, मुझे उड़ान भरने दे। पिंजरे का दरवाजा खुलने दे।। पत्थर बन के मैं क्यों रहूँ, अन्याय तुम्हारा मैं क्यों सहूँ।