दिल में कईयों दर्द छिपाए बैठे हैं,
फिर भी इक उम्मीद जगाए बैठे हैं।
तेरा रुसवा होकर जाना रास नहीं आया,
मिलने के कुछ ख्वाब सजाए बैठे हैं।
माना तूने रस्ते बदल लिए अपने,
माना सब संयोग गंवाए बैठे हैं।
माना अब तू खुलकर नाम नहीं लेती मेरा,
हम एक तेरा अक्स बनाए बैठे हैं।
शायद समझेगी तू भी मेरे जज्बातों को,
कि बस तेरा नाम समाए बैठे हैं।