राहों पर उसका दिखना ही इक याद सुहानी लगती है,
उसकी चाल अदाओं से कोई यार पुरानी लगती है,
सपनों की राजकुमारी है या है किस्सों की परी कोई,
महफ़िल में उसकी धुन छेड़ूं, वो प्रेम तराने लगती है।
उसकी आँखें नीली सी हैं, चेहरे पर छाई लाली है,
स्वर मीठा, कोयल के जैसा, उसकी मुस्कान निराली है,
काले बालों का खुलना तो मेघों की रचना करता है,
लगता है रब की खास कोई, बड़े जतन से पाली है।
नित उसकी यादों में खोकर, मैं स्वयं को भूला करता हूँ,
उसने मुस्कुरा के देख लिया मैं इसी पर फूला करता हूँ,
संग जब तक रहता उसके मैं, ये दिल भी झूमें मस्त मगन,
ज्यों ही कुछ पल को दूर हुआ, ख्वाबों में झूला करता हूँ।
उसको पाऊँ तो सब पा लूं, खोना उसको मंजूर नहीं,
मैं चाहूँ वो हर बार हँसे, रोना उसका मंजूर नहीं,
वो कमल रहे, मैं कीचड़ में खुद को महफ़ूज बना लूंगा,
पर भँवरे की तरहा हर पल, दूरी उससे मंजूर नहीं।