. *🦚बस यूं ही.... 🦚*
*दूसरों पर आरोप लगाने वाला स्वयं भी बेचैन रहता है,*
*सामान्य मनुष्य को यह लगता अवश्य है कि,*
*दुष्ट प्रकृति के लोग बहुत प्रसन्न रहते हैं*
*पर यह सत्य नहीं होता।*
*दूसरे को सताने वाला या अनावश्यक ही दूसरे पर दोषारोपण करने वाला कभी स्वयं भी सुखी नहीं रहता।*
*जब कोई मनुष्य दूसरे पर दोषारोपण करते हुए उसके अहित की बात सोचता है,*
*तब वह अपने अंदर भी बेचैनी का भाव लाता है।*
*अनेक बार देखा गया है कि जब कोई मनुष्य स्वयं अपराध या गलती करता है, तब वह उसका दोष स्वयं न लेकर दूसरे पर मढ़ता है।*
*उसके झूठे दोष से पीड़ित व्यक्ति की जो आह निकलती है*
*वह निश्चित रूप से उस पर दुष्प्रभाव डालती है।*
*यह अलग बात है कि इस आह का दुष्प्रभाव तत्काल न दिखाई दे पर*
*कालांतर में उसका परिणाम अवश्य प्रकट होता है।*
*इसलिए कुछ भी अप्रिय कर्म करने से पहले सौ बार सोचना जरुरी है.....*
. *निर्णय आपका*
. 👏
. *◆●स्वयं विचार करें●◆*
. ☘️ *शुभ रात्रि* 🌸. *🦚बस यूं ही.... 🦚*
*दूसरों पर आरोप लगाने वाला स्वयं भी बेचैन रहता है,*
*सामान्य मनुष्य को यह लगता अवश्य है कि,*
*दुष्ट प्रकृति के लोग बहुत प्रसन्न रहते हैं*
*पर यह सत्य नहीं होता।*
*दूसरे को सताने वाला या अनावश्यक ही दूसरे पर दोषारोपण करने वाला कभी स्वयं भी सुखी नहीं रहता।*
*जब कोई मनुष्य दूसरे पर दोषारोपण करते हुए उसके अहित की बात सोचता है,*
*तब वह अपने अंदर भी बेचैनी का भाव लाता है।*
*अनेक बार देखा गया है कि जब कोई मनुष्य स्वयं अपराध या गलती करता है, तब वह उसका दोष स्वयं न लेकर दूसरे पर मढ़ता है।*
*उसके झूठे दोष से पीड़ित व्यक्ति की जो आह निकलती है*
*वह निश्चित रूप से उस पर दुष्प्रभाव डालती है।*
*यह अलग बात है कि इस आह का दुष्प्रभाव तत्काल न दिखाई दे पर*
*कालांतर में उसका परिणाम अवश्य प्रकट होता है।*
*इसलिए कुछ भी अप्रिय कर्म करने से पहले सौ बार सोचना जरुरी है.....*
. *निर्णय आपका*
. 👏
. *◆●स्वयं विचार करें●◆*
. ☘️ *शुभ दोपहर* 🌸