एक समय था कि चारों और ब्लॉग का हल्ला था । हर कोई नए - नए ब्लॉग बना रहा था और जब ये खबर फैली की आप ब्लॉग से पैसे (माफ़ी चाहूँगा हल्ला डॉलर का हुआ था, छोटा आदमी हूँ न नजर चिल्लर पर ही रहती है) भी कमा सकते हैं तब मेरे जैसे कामचोर भी माँ- बाप के सपनों का तेल ब्लॉग पर निकालने लगे । कमाई कितनी हुई ये मत पूछना माँ आज भी अपने उन पैसों का हिसाब मांगती है जो मैंने उन्हें मुंगेरी लाल के सपने दिखा कर डोंगल खरीदने के लिए लिए थे । मुई इस फेसबुक ने सपनों के साथ साथ डोंगल भी तुड़वा दिया । ख़ैर अब लम्बा वक्त गुजर गया । शायद ब्लॉग बूढ़े हो चले है पर पता नहीं क्यों वो मुझे अब आकर्षित कर रहें । जरूर Mukund Verma और Anurag Priyadarshan ने मंतर मारा है मुझपर । तो चलो यार एक बार फिर से ब्लॉग ब्लॉग खेलते हैं वो भी बिना किसी झूठे सपने को देखे क्योंकि पहले रोजी- रोटी का सवाल था तो लगा की ब्लॉग सोने के अंडे देने वाली मुर्गी है पर अब ब्लॉग मन को सकूँ देने के लिए चलाना है । आप लोगों की मेहरबांनी और आशीर्वाद से शायद चल निकले ।
तो जनाब घर,ऑफिस,फोन,वॉट्सएप्प,जीमेल,याहू,फ़ेसबुक पेज के अलावा अब इन दोनों जग्ह भी मुलाक़ात होगी । पता नोट कर लो, और दुआ में याद रखना.....
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