इतना बेबस और तन्हा हो बैठा हूं,
खुद को आईने में देखना भूल बैठा हूं,
हर बार मुझको मुझसे मिला देना तेरा,
न जाने उस शख़्स को कहां खो बैठा हूं...!!
अमित सिंह उदावत "नादान"
13 सितम्बर 2021
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क्या ढूंढता हूं इश्क़ के बाजार में, "नादान" सा जीवन मेरा बीच मझधार में..!!D