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बेचैन मन...

15 सितम्बर 2021

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तरुण पांच साल का था.. अपनी ननिहाल जा कर वो फूला नहीं समा रहा था. आख़िरकार अपने माता पिता की पहली संतान था. हर कोई चाह रहा था तरुण उस की गोद मे आ जाए. वो बड़ा खुश था आखिर पांच साल का ही था.
उस के भाई बहन माता पिता सब मौजूद थे. आज तरुण बहुत खेला था. और जल्दी सो गया. दूसरे दिन तरुण की आंख खुली तो उस बेचारे की निगाह अपनी माँ को तलाशने लगी. पांच साल का तरुण रोने लगा माँ के पास जाना है
वो बच्चा सोच रहा था कल इस घर मे इतनी रौनक थी आज इतना सन्नाटा कैसे हो गया मगर पांच साल का बच्चा किसी से क्या पूछेगा. तरुण और ज़ोर से रोने लगा तब ही उस के गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ पड़ा
अब ज़्यादा नौटंकी मत कर आज से तू यहीं रहेगा यही तेरा घर है पांच साल का तरुण अपने मामा को देखने लगा थप्पड़ इतनी ज़ोर से पड़ा था की बेचारा सहम गया.  अरे इतनी ज़ोर से मत मारो बच्चे को छोटा है उसे अभी इतनी अकल कहाँ है उसे क्या पता की हम ने उस के माँ बाप से उस को ले लिया है तरुण भागता हुआ अपनी नानी की गोद मे बैठ गया
सच तो ये है उस एक थप्पड़ ने तरुण का बचपना उसी वक़्त छीन लिया था.
समय का पहिया बीतता गया
तरुण आज ग्यारह साल का हो गया कभी कभी उस के माता पिता उस से मिलने आते और वो हमेशा ज़िद करता वो उन के साथ रहेगा. मगर हमेशा उस के माता पिता उस से मना कर देते. उन के जाने के बाद वो हमेशा रोता रहता और उसे यही सुनने को मिलता नौटंकी बंद कर अपनी अब तेरा यही घर है अब तरुण तेरह साल का हो गया. अब वो अपना दुख किसी के सामने ज़ाहिर नहीं करता था. हालात ने उसे कुछ ज़्यादा ही अपनी उम्र से बड़ा बना दिया था  अब उस के माता पिता कभी भी आते तो उन के जाने के बाद वो हमेशा अकेले मे रोता पर उस के दुख को समझने वाला कोई नहीं था..समय का पहिया अपनी रफ़्तार से चलता गया
अब तरुण ने अपने मामा के घर को अपना घर मान लिया था अब उस की मामी भी आ गयी थीं
अब तरुण आठरह साल का हो गया था..
एक दिन उस के मामा ने उस का बैग फेंक कर कहा
जा अपने घर पर हम ने तुझे खिलाना का ठेका नहीं लिया
तरुण चुपचाप बैग उठा कर बैचेन मन से अपने घर चल दिया
घर आ कर घरवालों की गालिया भी सुनी
तूने ज़ुरूर कुछ किया होगा
तरुण अपनी बात कैसे रखे यार दोस्त अब उस के यहाँ नहीं थे अब उसे आदत मामा जी के घर की थी होती भी क्यों नहीं उसे बचपन से यही सिखाया गया था की उस का घर वहीँ हैँ
आज तरुण तीन बच्चों का पिता है. पिता बनने के बाद अब उसे एहसास होता है की कैसे उस के माता पिता ने उस को अपने से दूर कैसे कर दिया
क्या उस की याद नहीं आती थी..
तरुण आज भी यही सोचता है की उस पांच साल के बच्चे की गलती क्या थी ये सोच कर उस का आज भी मन बेचैन हो जाता है.......

                लेखक -क़ासिम अंसारी 


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खुशबु जी कुछ बच्चे अपनी ननिहाल मे परवरिश पाते हैँ.. मगर प्यार बच्चे को सिर्फ उस कि माँ दे सकती है..

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तरुण की कहानी बहुत दर्द भरी है ऐसा किसी के साथ महिला होना चाहिए 😥😥

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