घर मे बहन कि शादी कि तैयारियां चल रही थीं. शादी नज़दीक ही थी. घर कि साफ सुथराई भी बड़ी तेज़ी से चल रही थी.
क्यों कि घर पर नया पेंट जो होना था सब अपने अलग अलग विचार रख रहे थे कोई कह रहा था ये कलर करवाओ कोई कह रहा था वो कलर
तब ही घर कि नौकरानी मेरे पास आयी
साहब ये सामान तो बहुत पुराना है कचरा है फेंक दें इसे
मैंने देखा तो उस के हाथ मैं एक पॉलीथिन थी जो जगह जगह से फट गयी थी
लाओ दिखाओ तो इसे
मैंने पॉलीथिन हाथ मैं ले कर खोलने लगा
मैंने देखा तो उस मैं मेरा टूटा हुआ तमंचा था. हाँ मुझे याद है इस तमंचे के खातिर मेले मैं ही मुझे बहुत मार पड़ी थी उस वक़्त मैं दूसरी कक्षा मे था उसे देख मुझे लगा जैसे मैं फिर से अपने बचपन मैं चला गया
मुझे याद था जब मम्मी ने जब मुझे ये दिलाया था तो उस वक़्त मैं खुद को दुनिया का सब से अमीर समझ रहा था उस रात मुझे नींद नहीं आयी थी
मैं इस तमंचे से बहुत खेला था कभी पुलिस बन कर कभी चोर बन कर और एक दिन खेल खेल मे वो मुझ से टूट गया फिर अचानक वो गायब हो गया
मुझे याद है मैं उस दिन तमंचे के टूटने पर बहुत रोया था
उस के गायब होने पर मैंने उसे बहुत ढूँढा था पर मिला ही नहीं
तब ही मेरे कानो मे मेरी बूड़ी माँ कि आवाज़ सुनाई दी
बेटा अरे ये तो तेरा वही तमंचा है तुझे याद है तुझे कितनी मार पड़ी थी
याद है सब याद है
साहब क्या करूँ इस कचरे का
लाओ इसे मुझे दे दो ये कचरा नहीं सोना है और सोने से भी ज़्यादा कीमती है नौकरानी मुझे हैरत से देखने लगी उस ने पॉलीथिन मुझे पकड़ा दी
सच था अगर वो टूटा हुआ तमंचा बोल सकता तो ना जाने कितनी कहानियाँ सुनाता
लेखक -क़ासिम अंसारी