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भाग - 1

8 अप्रैल 2022

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"मैं यकीन दिलाती हूँ रोहन, तेरे सिवा मेरी जिन्दगी में  कोई नहीं था और  न कोई है। मेरी बात को यकीन क्यों नहीं करतें ...?"-मोहनी ने  दोंनो हाथ जोड़ते हुए अपने पति रोहन से बोली। 

"अगर कोई नहीं था तो मैं जो सुनते आ रहां हूँ क्या वह गलत है?"
 - रोहन ने गुर्राते हुए मोहनी से सवाल किया था, और मोहनी चुपचाप इन चुभती हुई सवाल को सुनकर शुन्य की ओर देखती रह गई थी। 

 रोहन को दो वर्ष पहले ही मोहनी से शादी हुआ था । दोनों की जिंदगी बहुत ही खुशी पुर्वक गुजर रही थी, तभी किसी ने रोहन और मोहनी की जिंदगी में जहर घोल दी।

वह कोई और नहीं थी, मोहनी की अपनी हीं बहन मिक्की थीं, जो मन ही मन रोहन की दिवानी थी।
 वह चाहती थी कि मैं किसी न किसी प्रकार अपनी बहन और जीजा के जिन्दगी में ऐसी जहर घोलू की रोहन, मोहनी को हमेशा - हमेशा के लिए अपनी जिंदगी से निकाल - बाहर करे।
और मैं मोहनी की जगह, रोहन के जीवन में लें लूं।
बात उस समय की है जब मोहनी की शादी रोहन से पक्की हो गई थी,....। मोहनी उस समय कालेज की पढ़ाई लगभग समाप्त ही कर चुकी थी कि उसके पिता जगदीश बाबू ने रोहन से मोहनी के विवाह तय कर दियें थें। 
रोहन देखने - सुनने में बहुत ही अच्छा लड़का था। कहीं से, कोई भी ऐब उसमें कोई  निकाल नहीं सकता था। 

वह सरकारी नौकरी में था, इसलिए दहेज भी रोहन के घरवालों ने अच्छा खासा लिया था। 
जगदीश बाबू अपनी बेटी मोहनी के लिए अपनी जिंदगी का जमा - पूंजी में से लगभग आधे रोहन को दहेज  देने के रूप में खर्च कर दियें थें। और आधे अपनी छोटी बेटी मिक्की के लिए बचा कर रखे थें। 
मोहनी और मिक्की के बाद जगदीश बाबू का एक लड़का भी था, जिसका नाम राहुल था जो अभी बहुत छोटा था। 

जब मोहनी की बारात आयी तो सबसे ज्यादा कोई खुश थी तो वह थी मिक्की। मिक्की एक नजर रोहन को देखने के लिए इस तरह उतावली हो रही थी जैसा कि रोहन ही उसी का होने वाला पति हो। 
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रचनाएँ
जहर
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एक बहन ही एक बहन की दूनिया में आराम से आग लगा सकती है, जब वह स्वार्थ और वासना के आग में जल रही हो। इस कहानी के माध्यम से लेखक यही बतलाने की कोशिश किया है कि किस प्रकार एक बहन, दूसरी बहन को जिन्दगी तबाह कर देती है।
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भाग - 1

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"मैं यकीन दिलाती हूँ रोहन, तेरे सिवा मेरी जिन्दगी में कोई नहीं था और न कोई है। मेरी बात को यकीन क्यों नहीं करतें ...?"-मोहनी ने दोंनो हाथ जोड़ते हुए अपने पति रोहन से बोली। "अगर

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भाग - 2

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‍ भाग - 2खैर बारात भी आयी, और मोहनी को रोहन से विवाह भी हो गया। कुछ दिनों के बाद मोहनी अपने ससुराल से वापस मायके

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भाग - 3

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‍भाग - 3लगभग पाँच दिन मोहनी को यूं ही मायके में निकल गया, लेकिन वह खिड़की एक - दिन भी नहीं खुली। मोहनी को यह समझ में नहीं आ रही थी कि उसे क्या हो गया है....? क्या वह कमरा खाली करके चला गया,

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अंतिम भाग

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भाग - 4 इधर... मोहनी को इसी शहर में शिक्षिका की नौकरी लग गई थी, जिसके कारण वह कुछ दिनों तक मायके में हीं रहने का मन बनाकर ससुराल से मायके आयी थी।और.... रोहन ने भी लगभग एक महीने की छुट्ट

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