पुराने समय की बात है . एक परिवार था . काफी सम्पन्न और
ख़ुशहाल. इस परिवार की मुखिया थी भारती और
घर का नाम था “भारत भवन” . इस के चार बेटे थे जिनके नाम थे , ब्राह्मण कुमार,
छत्रिय कुमार, वैश्य कुमार और शूद्र कुमार. ब्राह्मण कुमार की जिम्मेदारी थी घर के
सदस्यों को पढ़ाना, और संस्कार देना. घर की
सुरक्षा का दायित्व छत्रिय कुमार का था . घर के भरण पोषण की जिम्मेदारी वैश्य
कुमार की थी और शूद्र कुमार सबसे छोटा होने के कारण सब का लाड़ला था वो घर के कामों मैं हाथ बटाता था . दूर-दूर तक इस परिवार की यश
गाथा कही और सुनी जाती थी . एक दिन अचानक एक मेहमान आया ,जिसका नाम था मियाँ. बेहद गरीब और दुखी. भारती जो “अतिथि देवों भव:” में
विश्वास रखती थी. उस ने उस अतिथि का खूब आदर सत्कार किया , इतना प्यार और अपनापन पा
कर वो अतिथि बहुत खुश हुआ , इस परिवार का वैभव देख कर उस के मन में लालच आ गया . पर
वो अकेला था और ये लोग इतने सारे. इस लिए सबसे पहले इस ने अपने परिजनों को भी यहाँ
बुलाना शुरु कर दिया, और देखते ही देखते मियाँ और उसके परिजनों ने भारती के घर के
एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया .
भारती का बेटा छत्रिय कुमार ने कई बार ये बात अपने घरवालों
को बताई , पर भारती जो स्वभाव से भोली थी वो “अतिथि देवों भव:” का फर्ज ही पूरा
करती रही. और इस कारण बाकी बेटे भी चुप रहे . घर का खर्च ज्यादा होने लगा था तो वैश्य कुमार
को भी ज्यादा काम करना पड़ता था. जिस कारण उसका
स्वभाव चिडचिडा हो गया। काम करने वाले सदस्यों की संख्या कम और खाली बैठ कर खाने वाले ज्यादा हो गए थे .
एक दिन मोका देख कर मियाँ ने छत्रिय कुमार पर हमला कर दिया .परन्तु
वो हार गया और रोते-रोते सारा इल्जाम उसने छत्रिय कुमार के उपर ही डाल दिया .
भारती जानती थी की छत्रिय कुमार मियाँ को पसंद नहीं करता इस लिए इन सब ने मियाँ की
बातों पर भरोसा कर लिया . फिर मियाँ छत्रिय कुमार के पास गया और उसको अपने भाइयों
के खिलाफ भड़काया . छत्रिय कुमार क्यों की सब से नाराज था. इस लिए वो भी मियाँ की बातों
मैं आ गया . कुछ दोनों के बाद मियाँ ब्राह्मण कुमार से लड़ गया. छत्रिय कुमार ये सब देख कर भी चुप रहा. इस कारण
दोनों भाइयों मैं मतभेद हो गए .
मियाँ का सिलसिला चलता रहा . कभी वो एक से लड़ता तो कभी दूसरे
से , कभी प्यार तो कभी मार , कभी समझाना तो कभी भड़काना , और आखिर कार वो चारों भाई
एक दूसरे से अलग-अलग हो गए . सब आपस मैं लड़ने लगे . सबसे कमजोर हालत थी शूद्र
कुमार की , क्यों की उस के पास ना धन था ना ही ताकत और न ज्ञान .