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भावना से संघर्ष की ओर

2 मार्च 2022

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कहते है न कि जो पेड़ सीधा होता है उसको पहले काटा जाता है, हम पहले सीधे पेड़ की तरह हुआ करते थे।
जो हमे हर कोई प्यार से काट कर चला जाता था, ओर हम उन्हों अपना सबसे बड़ा शुभचिंतक मानते थे। जीवन ऐसी बहुत सी घटनाओं में से गुजरा जिससे एक सबक सीखने को मिला की जीवन में किसी का कोई नहीं होता है। होता तो वो है जो हमारे पास है, अगर लोग हमे सम्मान से बुलाते है या बड़े मानते है तो सीधा कारण है कि या तो हमने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की जिसके कारण हमारा सम्मान हो रहा है।
नही तो आप भी उस रंक फकीर की लाइन में खड़े हो वहा बहुत से करोड़ में खड़े है। 

जीवन में आशा, निराशा, सम्मान, तरक्की, सफलता, असफलता, हार, जीत, समस्या, समाधान, चुनौतियां, अवसर आदि से भरा पड़ा है।

इस जीवन में हमे बहुत से पहलूओ को छूना पड़ता है। हम जो कुछ पाते है वो संघर्ष से ही पाते है, अगर हमारी नजर कोई ऐसा व्यक्ति जो महान है तो बिना संघर्ष कुछ नहीं किया होगा।

जब हमारे जन्म होता है वो भी एक संघर्षपूर्ण मुकाबले होता है, हम जिस कवच रूप से बाहर निकलते वहा से हमारी एक नई शुरुआत होती है। जब हम बड़े होते है तब तब हमे विभिन्न संघर्ष कर के अपना अस्तित्व बनाए रखते है। जैसे जैसे हम अबोध बालक से बोध बालक बनते है तब हमे अपने बचपन का संघर्ष याद नही आता है क्योंकि उस समय हमारे साथ बहुत से लोग खड़े होते है, चाहे माता पिता, गुरु,मित्र, अड़ोसी पड़ोसी, रिश्तेदार इत्यादि होते है।


किशोरावस्था आते आते इन लोगो की संख्या कम होने लगती है क्योंकि हमारा तेवर दिखाए जाने पर ये लोग हमसे जलने लगते है, जैसे जैसे हम सफलताओं के झंडे गाड़ते तब तब ये लोग और भी जलते जाते है और हमे तोड़ने का भरकस प्रयास किया करते है, लेकिन कहते है न समय से पहले हमारी सोच का विकास नहीं होता है, इसी का लाभ लेते हुए ये लोग हमे तोड़ने का पूरा ध्यान हमारी ओर लगा देते है हमे मीठी मीठी बातें कर के हमारे दिल से खिलवाड़ करते है और हम उन्हे अपना शुभचिंतक का दर्जा देते है।


और ये शुभचिंतक अपना होने का नाटक कर के हमारा दिल जीत लेते है और हम पागल से उनको अपना कलेजा चीर के दे देते है। लेकिन कहते है न समय परिवर्तन शील है और समय अच्छे अच्छे लोगो को वास्तविकता से परिचय करवा देता है। वैसे ही समय ने मेरी ऐसी स्थिति लाई की जो मेरे शुभचिंतक थे उनके जो दो मुखोड़े लगे हुए थे वो सामने आने लगे , दूध का दूध का पानी का पानी हो गया ।


इस दुनिया में इंसानियत बहुत ही कम लोगो में में जीवित है।


कहते है न कि जो पेड़ सीधा होता है उसको पहले काटा जाता है, हम पहले सीधे पेड़ की तरह हुआ करते थे।


जो हमे हर कोई प्यार से काट कर चला जाता था, ओर हम उन्हों अपना सबसे बड़ा शुभचिंतक मानते थे। जीवन ऐसी बहुत सी घटनाओं में से गुजरा जिससे एक सबक सीखने को मिला की जीवन में किसी का कोई नहीं होता है। होता तो वो है जो हमारे पास है, अगर लोग हमे सम्मान से बुलाते है या बड़े मानते है तो सीधा कारण है कि या तो हमने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की जिसके कारण हमारा सम्मान हो रहा है। नही तोआतो भी उस रंक फकीर की लाइन में खड़े हो वहा बहुत से करोड़ में खड़े है।  

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