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चलो फिर से मुस्कुराएं

Tafizul Hussain

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आसान नहीं है चलो मिलकर कुछ कदम और चल जाएं चाहे जितना भी ग़म क्यू ना आए जि भरकर चलो मुस्कुराए 

chalo fir se muskurayen

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