ख्वाब और ख़्याल भी न जाने किस गली से आ जाए पता ही नहीं चलता। दिन नवरात्रि के चल रहें थे।कल्पना भी देवी की पूजा में मग्न रही। इन्हीं दिनों एक रात सपने में वह एक छवि देखती है कि लाल साड़ी और कुर्ते पजामे में एक जोड़ा उससे दूर खड़ा मुस्कुरा रहा है। यह कौन थे इतन