बहुत साल जाया हुए,कई रातें कटीं आंखों में,पैर जख्मों सेरुबरु हुए,तब जाके यह तय हुआ,झूठ कितना विस्तृत है,सच कितना बेबुनियाद है,यथार्थ कितना बेचारा है,भटकाव कितना व्यापक है... ... बहुत साल जाया हुए,तब जाके यह तय हुआ,लोग कैसे गुमराह जीते हैं,दुनिया क्यूं फरेब खरीदती है,इ