5 जुलाई 2015
बहुत बढियां मान्यवर, बिलकुल सत्य हकीकत, आज यही दृश्य सर्वत्र छाया हुआ है
5 जुलाई 2015
अमित जी आपकी रचना से संबंधित एक वाक्य समर्पित है। एक मुंशी लाला के पास काम करता था। लाला ने बताया कि पैसे को पैसा खिंचता है। अगले दिन वो घर से दो रुपये लाया और लाला की तिजौरी में फेंक दिए। इंतजार करने पर भी जब पैसे वापस नहीं आए तो लाला ने कहा कि मेरे पैसे अधिक थे इसलिए तुम्हारे दो रुपयों को मेरे ज्यादा पैसों ने खींच लिया है।
5 जुलाई 2015