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धर्मपुर राज्य का राजा भानु प्रताप सिंह एक प्रतापी राजा था ,एक युद्ध में उसकी एक टांग और एक आंख वह गवां चुका,अब केवल एक टाँग और एक आँख थी। उस राज्य में सभी लोग खुशहाल थे क्यूंकि राजा बहुत बुद्धिमान और प्रतापी था।
*एक बार राजा के विचार आया कि क्यों खुद की एक चित्र बनवाया जाये। फिर क्या था, देश विदेशों से चित्रकारों को बुलवाया गया और एक से एक बड़े चित्रकार राजा के दरबार में आये।
राजा ने उन सभी से हाथ जोड़ कर आग्रह किया कि वो उसका एक बहुत सुन्दर चित्र बनायें जो राजमहल में लगायी जाएगी। सारे चित्रकार सोचने लगे कि राजा तो पहले से ही विकलांग है, फिर उसकी चित्र को बहुत सुन्दर कैसे बनाया जा सकता है? ये तो संभव ही नहीं है और अगर चित्र सुन्दर नहीं बना तो राजा गुस्सा होकर दंड देगा।
यह सोचकर सारे चित्रकारों ने राजा का चित्र बनाने से मना कर दिया।
तभी पीछे से एक चित्रकार ने अपना हाथ खड़ा किया और बोला कि मैं आपका बहुत सुन्दर चित्र बनाऊँगा जो आपको जरूर पसंद आएगी।
फिर चित्रकार जल्दी से राजा की आज्ञा लेकर चित्र बनाने में जुट गया। काफी देर बाद उसने एक चित्र तैयार किया जिसे देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और सारे चित्रकारों ने अपने दातों तले उंगली दबा ली।*
*उस चित्रकार ने एक ऐसा चित्र बनाया था , जिसमें राजा एक टाँग को मोड़कर जमीन पे बैठा है और एक आँख बंद करके अपने शिकार पे निशाना लगा रहा है।
राजा भानु प्रताप ये देखकर बहुत प्रसन्न हुआ कि उस चित्रकार ने राजा की कमजोरियों को छिपाकर कितनी चतुराई से एक सुन्दर चित्र बनाया है।
राजा ने उसे खूब इनाम एवं धन दौलत दी। तो क्यों ना हम भी दूसरों की कमियों को छुपाएँ, उन्हें नजरअंदाज करें और अच्छाइयों पर ध्यान दें।