कुछ फिरंगी हरकतों से,
मेरा दिल झूमे जा रहा था
कॉलेज का पहला दिन था
और मै खिलखिलाए जा रहा था
हाथ में बड़ा सा बैग था
और दिल में बड़ा अरमान था
लोगो से भरे रास्ते में भी
एक लड़का सुनसान था
ना प्यार की कोई समझ थी
ना बात किसी से होती थी
मै अपने मन का मौला था
तनहाई मेरी संगी थी
कुछ दोस्त बने पहले दिन में
कुछ अजनबियों से बात हुई
कुछ देर बाद टीचर आए
और लेक्चर की शुरुआत हुई
पहले दिन की पहली क्लास
और क्लास में बड़ा बवाल था
मै पीछे वाली बेंच पर बैठा
और आगे खड़ा सवाल था
कुछ देर हुई एक आवाज़ आयी
फिर एक के बाद वो फिर आईं
सवाल पे सवाल उठाए हुए
एक लडक़ी थी जो झल्लाई
सबकी नज़रें उसकी तरफ
और मै किताब में खोया था
बाकी सब उसमे उलझे थे
बस मेरा उत्तर आया था
फिर देखी वो नज़रें मुझको
फिर सबने मुझको घूरा था
जुल्फों को थोड़ा झटकाकर
उसने भी मुड़कर देखा था
जब नज़रें उससे मिल गई तो
दिल पागल पागल हो गया था
बरसो से पड़ी एक बंजर पर
जैसे भारी बादल छाया था
कुछ देर बाद उन नज़रों ने
फिर से मुड़कर मुझे देखा था
फिर धीरे धीरे सारे दिन में
सैकड़ों बार ही खोजा था
कुछ देर बाद सब लोगो ने
मेरी टांग खिचाई की
भाई , भाभी तो एक नंबर है
हम सबको भी वो भाई है
मै सहमा सा, शरमाया सा
उनके आगे मुस्कुराया था
पर मन ही मन के अंदर
एक भंवर से घबराया था
मै बहुत सोचा पर यही सोचा
ये झुटा सा एक सपना था
कैसे किसी अंजान पर
मेरा दिल आ सकता था
वो नज़रें चुराकर मुझसे
मुझको ताकती रहती थी
एक कसक जो मेरे मन में थी
वो कसक उसे भी रहती थी
फिर दिन गुजरा , मै घर आया
उसे बार बार फिर से सोचा
मैंने खुद से पूछा कई दफा
और इस निर्णय पर पहुंचा
ओय शायर तुझको प्यार हो गया
मुझको ऐसा लगता है
नजदीक है तेरी बरबादी
क्यों खुद को आग दिखाता है
एक बेचैनी सी मन में थी
आंखो में निंदे भी कम थी
सोचते सोचते सो गया था
जब खुली आख तो सुबह थी