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एम०एस-सी० (कृषि), बी०एड०, पी-एच०डी०

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आज के दौर में….

14 जनवरी 2016
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ऊँची इमारतों से मकान मेरा घिर गया,कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए।गिन गिन के सिक्के हाथ मेरा खुरदरा हुआजाती रही वो स्पर्श की नरमी,बुरा हुआ।कौन सा शेर सुनाऊँ मैं तुम्हे, सोचता हूँ,नया उलझा है बहुत, और पुराना मुश्किल।सब का ख़ुशी से फासला एक कदम है,हर घर में बस एक ही कमरा कम है।अपनी वज्हे-बर्बादी स

मनुबेन की डायरी के अंश: दुनिया जो कहती है वह कहती रहे....

11 जनवरी 2016
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महात्मा गांधी की अंतरंग सहयात्री की हाल ही में मिली डायरी बताती है कि ब्रह्मचर्य को लेकर किए गए उनके प्रयोग ने मनुबेन के जीवन को कैसे बदल डाला. वह भारतीय इतिहास का एक जाना-पहचाना चेहरा है जो आखिरी दो साल में ‘सहारा’ बनकर साये की तरह महात्मा गांधी के साथ रही. फिर भी यह चेहरा लोगों के लिए एक पहेली है.

रामजन्मभूमि मुद्दे पर सेमिनार के आयोजन को लेकर "दिल्ली विश्वविद्यालय" सियासी अखाड़े में बदल गया है. क्या एक शैक्षिक संस्थान को विवादों में लाना उचित है ?

10 जनवरी 2016
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10 विचार जो आपको देंगे हर हालत में जीतने का जज्बा

10 जनवरी 2016
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मंजिल पर पहुंचने से पहले का रास्ता थकाने और हिम्मत तोड़ने वाला होता है. ऐसे में कोई भी हार कर बैठ सकता है. लेकिन जो अपने जज्बे को बनाए रखते हैं, वे बाद में किस्मत के धनी कहलाते हैं. अगर आप भी इस श्रेणी में आना चाहते हैं तो दुनिया की कुछ बड़ी हस्तियों की इन 10 बातों को जरूर याद रखें -1. सत्य से बड़ा

"तनावमुक्ति के उपाय"

7 जनवरी 2016
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   आधुनिक जीवन में तनाव न हो यह संभव नहीं है. जीवन मिला है तो रोजमर्रा की परेशानियां भी मिली हैं. गरीब, मध्यवर्गीय, धनी, धनकुबेर – सभी किसी-न-किसी कारण से चिंतित रहते हैं और तनाव उनके शरीर को खोखला करता रहता है. समस्याओं की प्रतिक्रिया करने से तनाव उपजता है. तनाव जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है. हांला

मोदी जी , आपको अपने घर में लगी आग बुझाने का ख़याल नहीं आता ?

5 जनवरी 2016
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'बेकसूर लोग मारे गए और राजनेता तुच्छ बयानबाजी में उलझे रहे.' 26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद एक अंग्रेजी अखबार ने इन्हीं शब्दों में देश के हालात बयां किए थे. साल बदले, सत्ता बदली लेकिन हालात बिल्कुल वैसे ही हैं. देश में आतंकी हमला होता है. जवान शहीद होते हैं. घायल होते हैं. उनका परिवार बिलखता है. देश

वर्ना रो पड़ोगे :-

4 जनवरी 2016
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बंद होंठों में छुपा लोये हँसी के फूलवर्ना रो पड़ोगे।हैं हवा के पासअनगिन आरियाँकटखने तूफान कीतैयारियाँकर न देना आँधियों कोरोकने की भूलवर्ना रो पड़ोगे।हर नदी परअब प्रलय के खेल हैंहर लहर के ढंग भीबेमेल हैंफेंक मत देना नदी परनिज व्यथा की धूलवर्ना रो पड़ोगे।बंद होंठों में छुपा लोये हँसी के फूलवर्ना रो पड

ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक : कुँअर बेचैन

3 जनवरी 2016
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ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक,चाँदनी चार क‍़दम, धूप चली मीलों तक /प्यार का गाँव अजब गाँव है जिसमें अक्सर,ख़त्म होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक /प्यार में कैसी थकन कहके ये घर से निकली,कृष्ण की खोज में वृषभानु-लली मीलों तक /घर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी,ख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं

"बेटियाँ मंदिर की घंटियाँ होती हैं"

1 जनवरी 2016
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बेटियाँ रिश्तों-सी पाक होती हैंजो बुनती हैं एक शालअपने संबंधों के धागे से।बेटियाँ धान-सी होती हैंपक जाने पर जिन्हेंकट जाना होता है, जड़ से अपनीफिर रोप दिया जाता है जिन्हेंनई ज़मीन में।बेटियाँ मंदिर की घंटियाँ होती हैं,जो बजा करती हैंकभी पीहर तो कभी ससुराल में।बेटियाँ पतंगें होती हैंजो कट जाया करती ह

स्मार्टफोन, कंप्यूटर और फेसबुक के साइड इफेक्ट

30 दिसम्बर 2015
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 शायद तकनीक को ज्यादा इस्तेमाल करने वाले दंपति ऐसा महसूस कर रहे होंगे कि व्हाट्सऐप और फेसबुक ने उनके बीच दूरियां बढ़ा दी है। अपने अपने नेटवर्क में व्यस्त रहना और आपस में संवाद कम करना ही तकनीक का सबसे बड़ा नुकसान है। आजकल कपल्स के बीच तकनीक के चलते जो दूरी आ गई है वो आने वाले दिनों में बढ़ने वाली है

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