इसमें दैनिक विषयों पर मेरे व्यक्तिगत विचार प्रकट किए जायेंगें जो गद्य और पद्य दोनों विधाओं पर हो सकते हैं।
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श्रृद्धांजलि अर्पित करता, आत्मा की शांति चाहता हूं।मोरबी की मौतों को, अश्रुपूरित शोक व्यक्त करता हूं।लाशों को देख यहां पर, असहनीय पीडा होती है।भारत माता अपने लालों को, खोने से यहां रोती है दोषी क
डिजिटल मुद्रा एक ऐसा रूप है जिसका मूर्त रूप नहीं होता है। यह एक ऐसी मुद्रा है जिसके माध्यम से वस्तुएं और सेवाएं इंटरनेट के माध्यम से आनलाइन खरीदी जाती है।इसमें विभिन्न बैंकों के द्वारा एक खाता खोला जा
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार वृद्धि होती जा रही है जिससे लोगों को विकसित और तीव्र गति की इंटरनेट सुविधा की जरूरत लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना के बाद तो एक बच्चे से लेकर एक वृद्ध व्य
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन से बरसात के मौसम की विदाई और देवों के जागने का समय होता है जिसके कारण हिन्दू धर्म में शादियां शुरू हो जाती है।इससे पहले हिन्दू धर्म की
वर्तमान में वैश्विक स्तर पर जलवायु का परिवर्तन एक बहुत बडी समस्या बनती जा रही है।पृथ्वी पर बढ़ता तापमान और असीमित और अवांछित बरसात, हिमस्खलन, हिमपात जैसी समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है ।इन
समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है जो सभी धर्मों के नागरिकों को व्यक्तिगत स्तर पर, सम्पत्ति के संग्रहण और अधिग्रहण पर,तलाक विवाह और गोद लेने वाले तथ्यों पर समान रखने का अधिकार देता है।एक पंथनिरपेक्ष र
खिलता यह चांद,जब गगन में चमकता है।तम का करता है नाश,अंधेरा स्वयं ही छंटता है ।सीखना है मनुज,जिंदगी में कुछ सीख लो।अपने बुद्धि विवेक से,अंधकार को छांट दो।रात है कार्तिक पूर्णिमा की,नानक के जयंती का दिन
सरकारी उपक्रमों, सरकारी नौकरियों और सरकारी व्यवसाय को जो पूर्ण रूप से सरकारी या सार्वजनिक सेवा के तहत काम कर रहे हो किसी निजी कंपनी या निजी संगठन के हाथों में सौपना ही निजीकरण है।हालांकि निजीकरण के अच
आरक्षण एक ऐसा प्रावधान है जिसमें पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों का सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन दूर करने का प्रावधान है।पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातिय
जाति और धर्म का , जो जहर घोल रहे हैं।जो मानव की कीमत ,जाति धर्म से तोल रहै है।इंसानियत के लिए ,वे जमीर बेच चुके हैं।स्वहित की खातिर,वे जन प्रेमहीन हो चुके हैं।धरा एक है गगन एक है,मानव तन की सांसे
शिक्षा है इंसान की शोभा,अंधकार जीवन का मिटाये।सद्गुण, संस्कार दे जीवन को,अलंकार जन मन कहलाये।।देश प्रगति शिक्षा पर निर्भर,शिक्षा से विकसित मन होता।शिक्षित जन देश की ताकत,धरती से अम्बर तक पहुंचा।।हर जन
भ्रष्टाचार मुक्त बनाओ भारत , संकल्प उठाओ मिलकर सब।शासन और प्रशासन में , ईमानदार बन कर्तव्य निभाये सब।जागरूक हो जाओ जन,यह राज तुम्हारा।भ्रष्टाचारी विरूद्ध आवाज उठाओ,जो शोषण कर रहा तुम्हारा।।ज
उम्मीद लगाकर बैठे थे,जो पलभर में टूट गई।विश्व विजेता बनने की,आशा दिलों से टूट गई।। हम जिनके बल पर,दम भरते थे।जीत की खुशियां,मन रखते थे।वे शेर हुए घायल,जंग हार गए।देश के हर जन के,सपने बेकार गए।।जि
स्वच्छ जल की तरह निर्मल बच्चे।शुद्ध मन से जीवन जीते हैं बच्चे।।दोष,दंभ नहीं उनके जीवन में।मुस्कान रहती है उनके सुंदर मन में।।सभी के मन लुभाकर अपना बना लेते हैं।खिलते फूल की तरह मधुकर बन जाते हैं।।खिलत
विकट समस्या हो रही ,बढ़ती हुई आबादी से।बेरोजगारी की फैली बीमारी,बढ़ती हुई आबादी से।।स्वास्थ्य सुविधा से वंचित हैं,बीमारी से लडते लोग।अस्पतालों में भीड़ लगी है,इलाज बिना मरते हैं लोग।।जगह नहीं बची लोग
किरदार है अलग-अलग, निभाने है वक्त के साथ।जादुई है यह दुनिया,मनुज तेरे चरित्र तेरे है साथ।।आंखों को चकमा दे ,जो तुम्हें चमत्कार दिखाते हैं।वह सच्चाई नहीं है मनुज, हकीकत वे छुपाते हैं।।लोगों को गुमराह क
आखिरी इच्छा है मेरी ,हर मनुज खुशहाल रहे।सुख समृद्धि हो जगत में,एक-दूजे में प्यार रहे।।आदर्शों का अनुसरण करें जन, परहित के कुछ काम करें।सुख चैन सदा रहे अमन में,मानवता के काम करें।संस्कृति और संस्कारों
मनुष्य नहीं संभला अगरप्रकृति का भयंकर रूप होगा।।भव भयंकर संकट होगा,2056 बहुत भयंकर होगासघन जनसंख्या सघन यातायातऔर विरल जंगल होते जा रहे हैंवैश्विक तापमान, वैश्विक जलवायुहर नई भोर के साथ बढ़ती जा
अन्तर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएंदुनिया के हर देश में महिलाओं के साथ हो रहे हिंसात्मक कार्य एक बेहद निन्दनीय घटना का उदाहरण है। वर्तमान में महिलाओं के सारा दहेज उत्पीडन, ब
भयावह थी घटना, उन दरिंदों को खौफ नहीं था।चीखें थी भयभीत जनों की, वह दिन बेख़ौफ़ नहीं था।मनमानी करने उतर गये, निर्दोषों को संहार किया।मानवता नहीं थी दिल में, दैत्य सम व्यवहार किया।।मौत सामने खड़ी
मैं हिन्दू हूं मैं मुस्लिम हूं,मैं जैन सिख ईसाई हूं।मैं यह नहीं समझता कभी,भारत मां की परछाईं हूं।।मैं वह मानव हूं धरती पर,जो विचारों से खंडित होता हूं।इसलिए मैं इस धरती पर,जाति, धर्मों से मंडित होता ह
दुनिया के हर देश में गरीबी उपलब्ध है लेकिन ग़रीबी इस दुनिया से कम होने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि लोगों की हालत में सुधार लाने के लिए कई प्रयास भी किए जा रहे हैं।लेकिन जिस प्रकार के प्रयास स
मनमानी का खेल चल रहा,शिक्षा अब व्यापार बनी।जनता की गाढ़ी कमाई,शिक्षा के लिए अब लूट बनी।।सरकारी स्कूलों में ,शिक्षा का बेहाल हुआ।कर्तव्य से विमुख हुआ मानव, कर्तव्य का दुरूपयोग हुआ।।निजी शिक्षालय लूट रह
जनता को जनता की खबरें, मीडिया बताती है।खुशी और गम के संदेश, मीडिया सुनाती है।।देश-विदेश की खबरें बताएं, तरोताजा हर सुबह बनाएं।टी.वी., अखबार, सोशल मीडिया, खबरों के माध्यम बनाए।।करती रूबरु पल-पल से,वक्त
न्यायपालिका विश्वास खोती जा रही है।फैसलों से जनता असंतुष्ट होती जा रही है।।रूपयों से जज वकील बिक रहे हैं।सच्चाई के बोल थक रहे हैं।।दोषी की सजा माफ हो रही है।अंधा है कानून सत्यता खो रही है।।पीड़ित लोग