सोनाक्षी फोन रखकर बहुत रोती है।
पता नहीं कल की सुबह कया लेकर आने वाला है? यह सोच सोचकर उसने सारी रात रोते हुए काट दी।
जैसे ही सूरज की पहली किरण घरती को छूती है। वो जल्दी से उठकर अपना जरूरी समान एक छोटे से बैग में भर लेती है।
सभी सोए हुए होते हैं। वो घर से रोते हुए निकल जाती है। एक बार भी सोनाक्षी पीछे मुड़कर नहीं देखती है।
सोनाक्षी सीधे राज के घर की ओर चल पड़ती है।
राज उसका इंतजार कर रहा होता है। सोनाक्षी जैसे ही राज के पास पहुंचती है। राज कहता है कि, "हमें अभी शिमला की तरफ निकलना होगा, हम वही जाकर शादी कर लेंगे। "
दोनों बस स्टैंड जाकर शिमला की बस में बैठ जाते हैं।
उधर सोनाक्षी को घर में ना पाकर उसके माता पिता परेशान हो उठते हैं।सोनाक्षी का फोन भी बंद आता है।
भैया राजिव को शक होता है कि जरूर सोनाक्षी राज के साथ ही होगी। वो अपनी पत्नी के साथ राज के घर पहुँच ता है।
वहाँ उसे घर के बाहर ताला नजर आता है।
ये देखकर राजिव का शक यकीन मे बदल जाता है कि
सोनाक्षी राज के साथ ही भागी है।
वो दोनों घर वापिस आ जाते हैं।
माता पिता का रो रोकर बुरा हाल होता है।
सोनाक्षी के पिता फ़रमान जारी कर देते हैं कि "जो कोई भी सोनाक्षी से रिश्ता रखने की कोशिश करेगा वो मेरे मृत्यु का कारण बनेगा। वो अब हमारे लिए मर चुकी है। "
यह सुनकर सोनाक्षी की माँ बहुत जोर जोर से रोने लगती है।
इधर सोनाक्षी राज के साथ शिमला पहुँच जाती है। राज उसको अपने घर ले जाता है। उसे देख कर राज की माँ बिल्कुल खुश नहीं होती।
लेकिन राज के पिता सोनाक्षी को देख कर बहुत खुश होते हैं। और दोनों की शादी जल्दी से जल्दी मंदिर में करवाना चाहते है।
दो दिन बाद का मुहर्त निकलता है। सोनाक्षी को घर की बहुत याद आती है और सोच ती है कि काश मेरा परिवार भी मेरे साथ होता। यह सोचकर उस की आखों से आसूं बहने लगे।
शादी का दिन आजाता है। सभी तैयार हो कर मंदिर पहुँचते है। शादी में सिर्फ राज का परिवार ही मौजूद होता है।
शादी की वीधिया शुरू हो जाती है। और सोनाक्षी हर एक विधि पर अपने परिवार को याद करती है।
शादी ठीक ठाक निपट जाती है।
सोनाक्षी और राज अगले ही दिन दिल्ली के लिए निकल पड़ते हैं। घर पहुँच ने के बाद सोनाक्षी का मन करता है कि वो माँ पापा से जाकर मिल कर आए।
लेकिन राज ने पहले से ही बोल दिया होता है कि वो उस घर के लोगों से कोई नाता नहीं रख सकती।
यह सोच सोचकर वो और भी दुखी हो उठती है।
दूसरे ही दिन जब राज आफिस चला जाता है, सोनाक्षी अकेली घर में रह जाती है। तब सोनाक्षी अपनी भाभी सीमा को फोन करती है। बहुत देर तक फोन की घंटी बजती रहती है। जैसे ही सोनाक्षी फोन काटने को होती है तभी दूसरी तरफ से उसकी भाभी की आवाज सुनाई पड़ती है। सोनाक्षी बोल उठती है
भाभी, आप कैसी हो?
भाभी बोल ती है "तुम ने हमें अच्छा रहने कहा दिया है। अब तुम ने यहाँ फोन कयो किया है? "पिताजी ने कह दिया है कि तुम से कोई भी रिश्ता नहीं रखेगा। और अगर फिर भी कोई तुम से रिश्ता रखता है वो पिता जी के मौत का कारण बनेगा। "यह कहकर भाभी सीमा फोन काट देती है।
सोनाक्षी फूट फूट कर रोने लगती है।
इधर सोनाक्षी की सहेली उसको खबर देती है कि "ग्रेजुएशन का परिणाम आ चुका है और सोनाक्षी के बहुत अच्छे अंक आए हैं। "
कालेज में दीक्षांत समारोह का भी आयोजन किया गया है। वो अवश्य ही वहाँ पहुँच जाए। वो कहती है कि नवीन भी आएगा। सोनाक्षी को तभी पता चलता है कि नवीन उसको पसंद करता था।
शाम को जब राज घर आता है सोनाक्षी उससे समोरह में जाने की अनुमति माँग ती है।राज साफ मना करते हुए कहता है कि वो अभी घर के कामों में मन लगाए।
शादी के कुछ ही दिनों के बाद से ही राज का एक नया रूप ही सोनाक्षी को देख ने को मिलता है।
हर काम पर उसे रोकना टोकना। हर बात पर डाटना चिल्ला ना रोज की बात हो गयी थी।
उसको कभी कभी लगने लगा था कि उसके पति का चक्कर किसी औरत के साथ चल रहा है।
सोनाक्षी का सारा दिन घर के कामों में ही निकल जाता था।
दिन ऐसी ही बीतने लगे।
जैसे जैसे दिन बीतने लगते हैं राज के अतयाचार और भी बढ़ने लगते हैं।
रात को देर से शराब पीकर घर आना। आते ही सोनाक्षी को गालियाँ देना, चीजों को इधर उधर फेकना, ये सब हरकते उसकी दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही थी।
यही नहीं राज को सोनाक्षी का किसी से मिलना जुलना भी पसंद नहीं था।
दिन महीनों में बदलते रहे।
फिर भी सोनाक्षी अपना कुछ समय कविता लिखने में वयतीत करती।
फिर एक रविवार के दिन सुबह सुबह राज का फोन बज उठता है। तब राज गहरी नींद में होता है। उसे सोया हुआ देखकर सोनाक्षी फोन हाथ में लेती है तभी राज झपटता मारकर उससे फोन ले लेता है। और फोन लेकर बाहर चला जाता है।
वापस आकर पहले तो सोनाक्षी को गालियाँ देते हुए कहता है कि"तुमने मेरे फोन को हाथ कैसे लगाया"।
फिर कहता है कि उसे कुछ जरूरी काम से बाहर जाना है। आते आते रात होजाएगी।
राज तैयार होकर निकल पड़ता है। सोनाक्षी भी उसके पीछे पीछे जाती है।
राज की गाड़ी एक मकान के सामने आकर रुक जाती है।
सोनाक्षी दूर से ही देखती है। एक लड़की आकर दरवाजा खोल ती है। और राज को देख कर उसके गले लग जाती है। फिर दोनों अंदर चले जाते हैं।
सोनाक्षी बाहर से ही खिड़की के पास खड़ी हो कर उन लोगो की बातें सुनने की कोशिश करती है।
राज उस लड़की को कह रहा होता है कि" मैंने तो सिर्फ सोनाक्षी के भैया राजिव से बदला लेने के लिए उस से शादी करी है। उसके भाई ने मुझे सबके सामने थप्पड़ मारा था। मैं उससे शादी नहीं कर ता। मैं तो उसके साथ टाइम पास कर रहा था। मैं कभी भी उससे शादी नहीं कर ता। उसकी भाई की सज़ा उसकी बहन भुगतेगी। "
यह सब सुनकर सोनाक्षी वहाँ से रोते हुए निकल जाती हैं।
अब उसको समझमें आने लगता है कि उसकी भैया ने जो बातें राज के बारे में कही थी वो बिल्कुल सही थी।
वो जैसे तैसे घर पहुँच ती है। दरवाजा बंद कर के बहुत देर तक रोती रहती है। अपनी इस तकलीफ के बारे न तो वो किसी को बोल सकती है। उसकाे सिर्फ अपनी माँ की याद आती है। वो अपनी माँ को फोन करने की कोशिश कर ती है।
लेकिन फिर उसको अपनी भाभी की बातें याद आती है। वो फोन काट देती है।
फिर अपने आप को सभालती हुई घर के कामों में लग जाती है।
रात को जब राज घर आता है सोनाक्षी उससे पूछती है कि "तुम ने मेरे साथ ऐसा कयो किया?
सोनाक्षी बता देती है कि उसको सब कुछ पता चल गया है।
राज कहता है की अच्छा ही है" जो तुम को सब कुछ पता चल गया है। अब मुझे कोई काम छिपा कर नहीं करना पड़ेगा।
और मेरे काम के बीच आने की कोशिश मत करना। "
दिन ऐसी ही बीतने लगते हैं।
राज बात बात पर सोनाक्षी पर हाथ उठाने लगता है। फिर भी सोनाक्षी सब कुछ सहन करती रहती है।
वो सारा दर्द अपनी लिखी हुई कविताओं में वयक्त करती
देर रात तक बैठकर कविताएँ लिखती रहती।
सोनाक्षी एक दिन बाजार से लौट रही होती है। अचानक वो एक गाड़ी से टकरा जाती है। वो बेहोश हो जाती है
गाड़ी वाला उसको जल्दी से अस्पताल ले कर पहुँचता है।
डाक्टर सोनाक्षी की जाच करती है। उसे इंजेक्शन लगा देती है।
थोडे़ देर में ही सोनाक्षी को होश आता है। होश आते ही वो घर जाने की जिद्द करती है। तभी जो आदमी उसको अस्पताल लेकर आता है वो एकदम सामने आ जाता है और कहता है कि तुम ऐसे यहाँ से जा नहीं सकती। सोनाक्षी हैरानी से देखती है, वो कोई और नहीं
उसका कालेज का दोस्त नवीन था।
नवीन सोनाक्षी को छोड़ ने घर तक आता है।
सोनाक्षी जयादा बात नहीं करती है। नवीन को सोनाक्षी का वयवहार पहले से बहुत बदला हुआ लगता है।
सोनाक्षी नवीन से पूछती है कि वो अभी कया कर रहा है।
नवीन कहता है कि वो एक प्रकाशन संसथान चलाता है।
सोनाक्षी बहुत डरी हुई लगती है। उसको यही चिंता सताती है कि राज कही घर न आ जाए। वो अगर नवीन को देखेगा तो आसमान सर पर उठा ले गा।
वो नवीन को जाने के लिए बोलती है। नवीन को शक होता है कि सोनाक्षी जरूर कोई मुसीबत में है।
वो सोनाक्षी से पानी पिलाने के लिए बोलता है। सोनाक्षी पानी लेने के लिए अंदर जाती है।
नवीन एकदम से उठकर इधर उधर देखता है। उसे एक डायरी मिलती है। वो डायरी लेकर बाहर निकल जाता है। जैसी ही वो निकल ता है तभी राज आ जाता है।
राज को नवीन जाना पहचाना लगता है। वो अंदर आते ही सोनाक्षी पर चिल्ला कर पूछता है कि वो कौन था? वो सोनाक्षी को गालियाँ देते हुए बहुत मारता है और घर से निकल जाता है।
नवीन भूल जाता है की सोनाक्षी की दवाईयां तो उसके पास ही रह गयी है। वो दवाई यों को लौटाने के लिए सोनाक्षी के घर पहुँच ता है।
वहाँ जाकर सोनाक्षी की हालत देखकर समझ ने नवीन को देर नही लगती कि उसके साथ कया हुआ होगा।
नवीन सोनाक्षी को उठाता है और उसको पूछता है कि वो कयो सहन कर रही है ये सब?
सोनाक्षी सब कुछ नवीन को बता देतीहै। और वो फूट फूट कर रोने लगती है।
नवीन कहता है कि बहुत होगया। अब उसको राज के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी।
सोनाक्षी कहती है कि मैं अपनी गलतियों की सज़ा भुगत रही हूँ।
और वो नवीन को इन सब बातों से दूर रहने के लिए कहती है।
नवीन चला जाता है। वो घर पहुँच कर सोनाक्षी की कविताओं की डायरी पढ़ ता है।
पढ़कर उसके आखों से आसूं निकल पड़ते हैं।
वो सोनाक्षी की कविताओं के संग्रह को किताब का रूप देने में जुट जाता है।
इधर राज सोनाक्षी पर अत्याचार पर अत्याचार करता रहता है। ऐसे ही एक दिन ठीक समय पर खाना न पकाने पर सोनाक्षी को बहुत पीठ रहा होता है तभी सोनाक्षी के पिता और भाई आ जाते हैं। दोनों को अचानक ऐसे देखकर सोनाक्षी और राज हैरान हो जाते हैं।
राजीव राज को थप्पड़ मार ता है।
पिता जी सोनाक्षी को गले लगा लेते हैं।
और कहते है कि वो पुलिस को सब कुछ बता दे। ताकि राज के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
पुलिस वहाँ पहुँच जाती है। और राज को गिरफ्तार कर के ले जा ती है। सोनाक्षी को उसके पिता और भैया घर ले कर आते हैं। माँ सोनाक्षी को देख कर रोने लगती है और उसे गले लगा लेती है। भाभी भी बहुत खुश होती है और अपने वयवहार के लिए माफ़ी माँग ती है।
सोनाक्षी ने अपने राजीव भैया से माफी मांगी। और पूछा कि उन लोगो को कैसे पता चला।
तभी नवीन का प्रवेश होता है, उसे देख कर सोनाक्षी को सब कुछ समझ में आ जाता है।
नवीन एक और खुश खबरी लेकर आता है कि सोनाक्षी की लिखी हुई कविताएँ अब एक पुस्तक "वेदना "का रूप ले चुकी है।
जो हाथों हाथ बिक रही है। सबको बहुत पसंद भी आ रही है।
नवीन सोनाक्षी को ६लाख रुपये का चैक हाथों में देता है।। और कहता है कि अभी तो सिर्फ शुरूआत है।
कुछ दिनों के बाद सोनाक्षी तलाक के कागज़ राज को पहुँचा देती है। राज के पिता सोनाक्षी से मिलने आते हैं और सोनाक्षी से अपने बेटे के करतूतों के लिए माफी मांग ते है।
सोनाक्षी की आखों में भी आसूं आ जाते हैं।
सोनाक्षी पुलिस से राज को छुड़वा देती है
एक महीने बाद
नवीन एक बहुत अच्छी खबर लेकर आता है कि सोनाक्षी की कविताओं की किताब वेदना बहुत अच्छी बिजनेस कर रही है। इस लिए सोनाक्षी को एक संसथान सममान देना चाहती है।
सभी समोरह में पहुँचते हैं। सोनाक्षी को मंच पर बुलाया जाता है। सोनाक्षी को सममानित किया जाता हैं।
सोनाक्षी अपनी कविताओं की कुछ पकितया पढकर सुना ती है। सभी उसकी तारीफ करते हुए खूब तालियाँ बजाते हैं।
समोरह खत्म होने पर सोनाक्षी की नज़र राज पर पड़ती है। राज सोनाक्षी से माफ़ी माँग ता है।
सोनाक्षी माफ किया यह कहकर वहाँ से निकल जाती है।
नवीन बाहर उसका इंतजार कर रहा होता है। नवीन सोनाक्षी से शादी करने की बात करता है।
सोनाक्षी कहती है कि मुझे सब मालूम है।
मुझे थोड़ा वक्त चाहिए। कयोकि मै अपने आपको ढूंढ ना चाहती हूँ।