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मन करता है कलम उठाऊं, आज शब्दों के वाण चलाऊं। कल की चिंता में क्यों, आज स्वयं को रूलाउं। जीवन के पल-पल से सबको रुबरु कराऊं। मन करता है कलम उठाऊं.. बीते हुए कल को भूल जाऊं कि, आने वाले पल के इंत
मन करता है कलम उठाऊं, आज शब्दों के वाण चलाऊं। कल की चिंता में क्यों, आज स्वयं को रूलाउं। जीवन के पल-पल से सबको रुबरु कराऊं। मन करता है कलम उठाऊं.. बीते हुए कल को भूल जाऊं कि, hu आने वाले पल के
एक कवि का कलम जब चलता है तो अच्छे अच्छों का पसीना उतरता है। धीरे -धीरे ही सही,हर पर्दे से पर्दा उतरता है।। आइने पर सच स्वयं झलकता है । हर झूठ पर सत्य हावी हो ही जाता है।। हमेशा की तरह झूठ हार जाता