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दीक्षा कुमारी की डायरी

दीक्षा कुमारी

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diikssaa kumaarii kii ddaayrii

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दीक्षा कुमारी की अन्य किताबें

पुस्तक के भाग

1

मन करता है कलम उठाऊं।

3 अक्टूबर 2022
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मन करता है कलम उठाऊं, आज शब्दों के वाण चलाऊं। कल की चिंता में क्यों, आज स्वयं को रूलाउं। जीवन के पल-पल से सबको रुबरु कराऊं। मन करता है कलम उठाऊं.. बीते हुए कल को भूल जाऊं कि, आने वाले पल के इंत

2

मन करता है कलम उठाऊं।

3 अक्टूबर 2022
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मन करता है कलम उठाऊं, आज शब्दों के वाण चलाऊं। कल की चिंता में क्यों, आज स्वयं को रूलाउं। जीवन के पल-पल से सबको रुबरु कराऊं। मन करता है कलम उठाऊं.. बीते हुए कल को भूल जाऊं कि, hu आने वाले पल के

3

कवि की कलम

3 अक्टूबर 2022
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एक कवि का कलम जब चलता है तो अच्छे अच्छों का पसीना उतरता है। धीरे -धीरे ही सही,हर पर्दे से पर्दा उतरता है।। आइने पर सच स्वयं झलकता है । हर झूठ पर सत्य हावी हो ही जाता है।। हमेशा की तरह झूठ हार जाता

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