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मन करता है कलम उठाऊं।

3 अक्टूबर 2022

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मन करता है कलम उठाऊं,

आज शब्दों के वाण चलाऊं।

कल की चिंता में क्यों,

आज स्वयं को रूलाउं।

जीवन के पल-पल से सबको रुबरु कराऊं।

मन करता है कलम उठाऊं..

बीते हुए कल को भूल जाऊं कि,

आने वाले पल के इंतजार में दिल खोल मुस्कुराऊं।

मैं भी भीड़ का हिस्सा बन जाऊं

कि हर भीड़ के लिए एक अनोखा किस्सा बन जाऊं।

मन करता है..

मौत को रिहा कर दुं 

कि.. जिंदगी के नाम सारी सजा कर दुं।


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