divya ambedkar
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चिंगारी और जुनून
है जो चिंगारी तुझमें अभी बाकी कहींमत बुझने दे ये जुनून की लौ अभीदबाने से अभी तो दब जाएगीलेकिन एक वक्त पर ये जरूर भड़क जाएगीतब तू रोयेगी,पछताएगीऔर सिसक सिसक के रह जायेगीएक अरमान जो तुमने आज दफनायाफिर तुझे दफनाने की आदत सी पड़ जाएगीतू जब खुद की न सुन पा रही हैतो कौन तुझे सुन पायेगान कोई समझ पायेगान कोई
दिखावा
#महिला_दिवससिर्फ एक छलावा है,,,जो लोग ये महिला दिवस की बधाइयां भेज रहे हैवो बताये जरा किकितनी बार उन्होनें अपनी घर में मौजूद माँ, बहिनों से कहा है किआज मैं आपकी घर के कामों में हेल्प कर देता हूँ,झूठे बर्तन धो देता हूँ,सबके नहीं तो खुद के खाये हुए ही,,,,,अपने सोये हुए बिस्तर को खुद ही ठीक कर देता हूँ
कमरिया ट्विस्ट इन लव
फरवरी यानि प्यार का महीना,वैसे तो प्यार करने, जताने के लिये किसी फिक्स समय,महीना, तारीख की जरूरत नहीं होती है,,लेकिन फिर भी फरवरी आते ही मौसम खुशनुमा हो जाता है।चारों तरफ बस प्यार का रंग और खुमार छा जाता है।बाजार के साथ साथ लोगों के दिलों में अरमान भी सजने लगने लगते है।आपके पास कोई वैलेंटाइन हो या न
उम्मीद
मुश्किल समय है देर-सबेर बीत जायेगा,,आज घना अंधेरा कल छट जाएगा,,,न छोड़ना कभी उम्मीद का दामनजो पतंग बनकर दूर उड़ गयाउसे उड़ जाने दो,,,,कभी तो टूटकर जमीं पर आएगा,,,,फिर न उसकी जमीं होगी न आसमान होगाखाक बनकर सिर्फ मिट्टी में मिल जाएगा ।।।।
बुद्ध पूर्णिमा
बुद्ध पूर्णिमा _____________ बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती सारी दुनिया में बौद्धों का सबसे बड़ा त्योहार है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और यही उनकी ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ( मृत्यु ) का भी दिन है। यह पर्व वैशाख माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। आइये हम भगवान बुद
नेपकिन
•तुम क्या जानो सेनेटरी नेपकिन की कीमत मर्द बाबू,,, •हर एक महिला की जरूरत है नेपकिन, •हर महिला का अधिकार है फ्री नेपकिन, •हर एक महिला का स्वास्थ्य टिकाये है नेपकिन, •महिला का स्वास्थ्य आपको टिकाये है फिर भी महंगा करते हो नेपकिन, •भले ही यह संभालता है खून की धार को लेकिन असल मे तुम्हें संभाले है नेप
सच्ची सुंदरता
चमड़ी का रंग भले ही काला या साँवला हो,,,,मुस्कुराहट का रंग हमेशा ही खूबसूरत होता है ।।।।#दिVयाअम्बेDकर
मजदूर दिवस
#मजदूर_दिवस_विशेष --------------------------- मैं मजदूर हूँ ,हाँ मैं मजदूर हूँ मजदूर हूँ लेकिन मजबूर नहीं यह कहने में मुझे कोई शर्म नहीं अपने पसीने की खाता हूँ कम पैसों में भी घर चलाता हूँ अमीरों के बंगले महल बनाता हूँ खुद एक छत के नीचे रहता हूँ सुकून की जिंदगी बिताता हूँ मैं मिट्टी को सोना बनाता हू
समाज के भेड़िये
घर के बाहर अकेली खेल रही वंशिका को देख कर पड़ौस में रहने वाले सत्या ने मुस्कुरा कर पूछा " आज स्कूल नहीं गयी वंशी? वंशी ने भी चहकते हुए जवाब दिया "नहीं भैया, पता है आज बड़े बच्चे टूर पर गये हैं इसलिये मेरी छुट्टी हो गयी, अौर अब मैं पूरा दिन खेलूंगी "। " अरे वाह फिर त
ब्रेकअप के बाद
आंख खुलते ही सामने वाली दीवार पर टँगी हुई घड़ी पर नजर पड़ी,घड़ी में 7 बज गए थे,लेकिन उठने का मन ही नहीं हो रहा था विद्या का ।।बिस्तर पर निढाल यूँही कुछ देर पड़ी रही ।।विद्या की लाल हुई आंखें बता रही थी कि वो पूरी रात सोई नहीं है।। वो तो रोते रोते कब सो गई ये उसे भी