घर के बाहर अकेली खेल रही वंशिका को देख कर पड़ौस में रहने वाले सत्या ने मुस्कुरा कर पूछा " आज स्कूल नहीं गयी वंशी? वंशी ने भी चहकते हुए जवाब दिया "नहीं भैया, पता है आज बड़े बच्चे टूर पर गये हैं इसलिये मेरी छुट्टी हो गयी, अौर अब मैं पूरा दिन खेलूंगी "। " अरे वाह फिर तो इस खुशी में एक चॉकलेट तो बनती है, है ना " "तो फिर लाओ दो ना चॉकलेट, वो मेरी फेवरेट है !" वंशिका ने बाल सुलभ जिद करते हुए कहा। सत्या ने इधर उधर देखा और उसके करीब जाकर बोला "यहां नहीं मेरे साथ चलना पड़ेगा, वहां उस मकान के पास!" सत्या ने थोड़ी दूर दिख रहे टूटे से खन्डहर नुमा घर की ओर इशारा करते हुए कहा " वहां बिल्लू की दुकान है, उसी पर "। चॉकलेट के नाम से छोटी सी वंशिका के मुंह में पानी आ रहा था और वह सत्या के पीछे चल पड़ी। अभी कुछ ही कदम बढ़ाये थे पीछे पीछे चलती हुई वंशिका सोच रही कि वह कौन सी चॉकलेट लेगी,,,अचानक वह ठिठक कर रुक गई और बोली -"मुझे आपके साथ नहीं जाना,मम्मा कहती है कि चॉकलेट के बहाने लोग बच्चों को ले जाते है और ऐसे लोग रावण होते है "। सत्या ने ये सुन कर दंग रह गया फिर उसे उलझाते हुए बोला कि - तुम बिल्कुल सच कह रही हो वंशी,लेकिन मैं तो तुम्हारे जान पहचान का हूँ न,,तुम्हारा सत्या भैया हूँ तो फिर मुझसे क्या डरना"? ये बात सुनकर वंशिका को थोड़ी तसल्ली हुई और मुस्कुराते हुये साथ चल दी।बिल्लू की दुकान पर पहुँच कर सत्या ने कुछ चॉकलेट ले कर वंशिका को दी।वंशिका ने थैंक यू सत्या भैया कहते हुए एक किस उसके गाल पर दे दी। किस पाकर सत्या के मन में एक अजीब हलचल पैदा हो गई।अब सत्या को 8 साल की वंशिका कमसिन लगने लगी,उसकी आँखों मे चमक आ गई और होठों पर एक शातिर मुस्कुराहट तैर गई।इन सबसे अनजान वंशिका जैसे ही घर जाने के लिये मुड़ी ,सत्या ने उसका हाथ पकड़ते हुये कहा-तुम्हें पता है वंशी उस घर मे बहुत सारी डॉल्स है वो भी बार्बी डॉल्स,अगर तुम्हें डॉल्स चाहिए तो वहां चलो मैं तुम्हे डॉल दिला दूंगा और तुम अपनी सारी चॉकलेट वहीं बैठकर खा लेना,अगर घर ले जाओगी तो तुम्हारी मम्मा गुस्सा करेंगी और डांटेगी भी।।डांट की बात सुनकर वंशिका ने सत्या को देखा और उस घर (टूटे खंडहर) की तरफ चल दी। जैसे ही वंशिका सत्या के साथ उस खंडहर में पहुँची, सत्या ने उसे दबोच लिया।सत्या ने पीछे से उसके मुंह को रुमाल से बांध दिया।अचानक हुये इस अनजाने से वार से वंशिका हैरान थी कि सत्या भैया को क्या हो गया,,सत्या ने उसे जमीन पर पटक दिया और उसके बचपन को अपने पैरों तले रौद दिया।सत्या की दरिंदगी यही नहीं रुकी वंशिका के बेहोश होने के बाद भी वो उसके साथ दरिंदगी करता और तब तक करता रहा जब तक उसका मन नहीं भरा । मन भरने के बाद सत्या उठा और वहां से निकल गया।।खून में लथपथ पड़ी वंशिका ने अपने सत्या भैया की दी हुई चॉकलेट की कीमत चुका दी थी ।।