आंख खुलते ही सामने वाली दीवार पर टँगी हुई घड़ी पर नजर पड़ी,घड़ी में 7 बज गए थे,लेकिन उठने का मन ही नहीं हो रहा था विद्या का ।।बिस्तर पर निढाल यूँही कुछ देर पड़ी रही ।।विद्या की लाल हुई आंखें बता रही थी कि वो पूरी रात सोई नहीं है।। वो तो रोते रोते कब सो गई ये उसे भी पता नहीं था ।।
आखिर विद्या ने हिम्मत करके अपनी बिखरी हुई हिम्मत को समेटा और बिस्तर से उठकर अपने कमरे से बाहर आ गई।।
कमरे से बाहर आते ही विद्या की माँ ने किचन से ही आवाज लगाई -"चाय नाश्ता तैयार है,खाओगी??
विद्या ने एक बड़ी मुस्कान के साथ "हाँ" में सिर हिलाया।।और अखबार लेकर बैठ गई नाश्ते के लिये।।
उसे कहीं कोई जल्दी नहीं थी तो आराम से खबरें पढ़ते हुई चुपचाप नाश्ता कर रही थी।
आज रविवार था तो विद्या को स्कूल भी नहीं जाना था।।एक स्कूल ही तो था जहां पर वह खुद बच्चों में इतना खो जाती कि उसे अपने टूटे हुये दिल का दर्द का अहसास ही नहीं होता था।बच्चों की मस्ती और शैतानियों के बीच वह भी बच्ची बन जाती,,शायद इसलिये वह बच्चों की सबसे प्यारी टीचर है।।
रविवार का आना विद्या को बहुत अखरता था,क्योकि घर पर उसे एक झूठी मुस्कान को जो चिपकाना पड़ता था।। ब्रेकअप के बाद विद्या काफी टूट गयी थी,लेकिन विद्या अपने इस दर्द को किसी पर जाहिर नहीं होने देती।वो घर पर सबके बीच हँसती, मुस्कुराती,,लेकिन अंदर से रोती।कभी कभी सबके बीच होकर भी उसे अकेलापन महसूस होता।
अब विद्या का फोन जो कभी उसके हमेशा हाथों में ही रहता था,अब इधर उधर पड़ा रहता है,,,पहले घर का छोटा सा काम करने के लिये कितने नखरे किया करती थी वहीं अब विद्या माँ के बिना कहे ही सारा काम कर देती है।शाम होते होते विद्या का मन कुछ भारी सा हो गया था,,मन को हल्का करने के लिये विद्या ने फोन में जैसे ही म्यूजिक प्ले किया,Arijit Singh सिंह के गानों ने तो जले पर नमक मिर्ची लगाने का काम किया,,गानों को सुनते ही उसकी आँखों से आँसू छलक आये और न चाहते हुये भी रो पड़ी और अपने कमरे में आकर अपने बिस्तर पर गिर पड़ी।बेड पर रखे अपने प्यारे टिल्लू टेडी को गले लगाकर घंटो रोती रही।।एक टिल्लू ही था जिसके सामने वह खुल कर रो सकती थी।।
हालांकि विद्या एक मजबूत इरादों वाली स्ट्रांग लड़की थी,,और यही वजह थी कि वह खुद को संभाल चुकी थी और समझ गई थी कि एक झूठे रिश्ते में बंधे रहने से अच्छा है कि आजाद रहे,जिंदगी भर रोने से अच्छा है कि कुछ घंटे लगातार रो लिया जाये।विद्या सब कुछ भूल कर एक कदम आगे तो बढ़ गई थी बस कभी कभी ये यादों का झरोखा उसे परेशान कर देता और विद्या न चाहते हुए भी बैचेन हो जाती।।
जब जी भर रोने के बाद विद्या का मन हल्का हो गया तो वह अपने आँसू खुद ही पौछ कर झट से उठी और अपने प्यारे टिल्लू टेडी को कसकर गले लगाया और अपनी अलमारी से कपड़े सेलेक्ट करने लगी कि उसे कल क्या पहन जाना है अपने स्कूल।।।
फिर तो सभी जानते है कि लड़कियों को कपड़े सेलेक्ट करने में कितना टाइम लगता है ,तो विद्या ने भी पूरे एक घंटे के बाद एक ब्लू कलर की साड़ी निकाल ली,,मिरर के सामने खड़ी विद्या कुछ सोच कर मुस्कुराने लगी,,,,,इस बार ये मुस्कुराहट असली थी।।।
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दिVया अम्बेDकर