है जो चिंगारी तुझमें अभी बाकी कहीं
मत बुझने दे ये जुनून की लौ अभी
दबाने से अभी तो दब जाएगी
लेकिन एक वक्त पर ये जरूर भड़क जाएगी
तब तू रोयेगी,पछताएगी
और सिसक सिसक के रह जायेगी
एक अरमान जो तुमने आज दफनाया
फिर तुझे दफनाने की आदत सी पड़ जाएगी
तू जब खुद की न सुन पा रही है
तो कौन तुझे सुन पायेगा
न कोई समझ पायेगा
न कोई समझना चाहेगा
खुद को अनसुना करने की बात
तेरे ही दिल में शोर मचाएगी
ये शोर तुम तक ही रहेगा
कोई इसकी एक सिसकी न सुन पायेगा
ये हकीकत है जिंदगी की
जो तू
आज हार गई
तो
जिंदगी के हर पहर तू पछताएगी
खुद की खुद से नजरें न मिला पाएगी,
इसलिये
है जो चिंगारी तुझमें अभी बाकी कहीं
मत बुझने दे ये जुनून की लौ अभी,,,,
एक दिन वो वक्त भी आएगा
जब तेरी जीत का जश्न
पूरा संसार मनाएगा
तब तू देखेगी
कि हर वो इंसान जो तुझे
कमजोर समझ तड़पाता था
तू डर के भाग जाए
इसलिये सताता था
आज वो ही तेरा नाम
बड़े गर्व से पुकारेगा
तेरा गुणगान इस जग में सुनाएगा
तब तू सब कुछ भूल
हौले हौले से मुस्कुराना
और सोचना
अगर
दबा देती तू वो चिंगारी कहीं
बुझा देती वो जुनून की लौ कहीं
तो ये सब आज होता नहीं,,,
इसलिये
है चिंगारी तुझमें अभी बाकी कहीं
मत बुझने दे ये जुनून की लौ अभी।।।
दिव्या अम्बेडकर
झाँसी