आप सभी को मातृत्व दिवस की शुभकामनाये। माँ जो प्रकृति का अनमोल उपहार है। जन्नत तक को जिसके चरणो की नीचे जगह दी गयी है। बालक की प्रथम गुरु, देव, पालक माँ ही होती है। मातृत्व दिवस के अवसर पर कोटि कोटि वंदन। आप सब से यही इल्तिज़ा है कि मातृत्व दिवस महज़ एक दिन नहीं हर रोज़ मनाये. माँ इसकी अधिकारिणी है।
इस अवसर पर मेरी एक ग़ज़ल पेश है-
ना कोई मज़हब ना कोई जात होती है
माँ की दुआओ में बड़ी करामात होती है
सपने जब से देखे है अजीब मैंने
माँ की मन्नते मेरे साथ रहती है
व्रत रोज़े रख रख गुज़ार दी ज़िन्दगी अपनी
मेरे होने से माँ की रोशन कायनात रहती है
मैं हंसा तो हंस पड़ी और रोया तो रो दी
ऐसे इश्क़ की तो खुदा को भी चाहत होती है
जो भी हु माँ की दुआओ का नतीजा है 'राम'
माँ का होना ही सबसे बड़ी सौगात होती है