राग दरबारी
आँसू की खेती होती है, मेरी चारदीवारी में
जीवन को जीना पड़ता है, जीने की लाचारी में
धरती का श्रृंगार आदमी
सुरभित मलय बयार आदमी
नील गगन का प्यार आदमी
प्रकृति का उपहार आदमी
यही आदमी काट रहा है, एक एक पल दुश्वारी में सृजन कमी है नाश आदमी भविष्य का विश्वास