डॉ. रंजना वर्मा
नाम - डॉ. रंजना वर्मा जन्म - 15 जनवरी 1952, शहर जौनपुर में । शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत, प्राचीन इतिहास) पी.एच.डी.(संस्कृत)। लेखन एवम् प्रकाशन - वर्ष 1967 से देश की लब्ध प्रतिष्ठ पत्र पत्रिकाओं में, हिंदी की लगभग सभी विधाओं में । कुछ रचनाएँ उर्दू में भी प्रकाशित । प्रकाशित कृतियाँ - साईं गाथा (महाकाव्य)। अश्रु अवलि, सर्जना, समर्पिता, सावन, कैकेयी का मनस्ताप, वैदेही व्यथा, संविधान निर्माता, द्रुपद - सुता, सुदामा,(सभी खण्ड काव्य)। चन्द्रमा की गोद में, पोंगा पंडित (बाल उपन्यास), समृद्धि का रहस्य, चुनमुन चिरैया, जादुई पहाड़ (बाल कथा संग्रह), मुस्कान (बाल गीत संग्रह), फुलवारी (शिशु गीत संग्रह)। जज़्बात, ख्वाहिशें, एहसास, प्यास, रंगे उल्फ़त, गुंचा, रौशनी के दिए, खुशबू रातरानी की, ख़्वाब अनछुए , शाम सुहानी, यादों के दीप, मंदाकिनी, आस किरन, बूँद बूँद आँसू (सभी ग़ज़ल संग्रह)। गीतिका गुंजन, सरगम साँसों की, रजनीगन्धा, भावांजलि (गीतिका संग्रह), सत्यनारायण कथा (पद्यानुवाद)। मुक्तक मुक्ता, मुक्तकाञ्जलि, मन के मनके (सभी मुक्तक संग्रह)। दोहा सप्तशती, दोहा मंजरी (दोहा संकलन)। एक हवेली नौ अफ़साने, रास्ते प्यार के, अमला, पायल, अतीत के पृष्ठ, अँजोरिया, मर्डर मिस्ट्री, अँगना कँगना, सई (उपन्यास)। सूर्यास्त, सिंधु-सुता, परी है वो, नानी कहे कहानी, दशावतार ( कहानी संग्रह )। साँझ सुरमयी, गीत गुंजन, गीत धारा , मीत के गीत, आ जा मेरे मीत,(सभी गीत संग्रह)। बसन्त के फूल (कुण्डलिया संग्रह)। कविता कानन, कविता कौमुदी, मन की उड़ान(कविता संग्रह)चुटकी भर रंग, जुगनू (दोनों हाइकु संग्रह)। चंदन वन (तांका संग्रह), इंद्रधनुष (चोका संग्रह), मेहंदी के बूटे (सेदोका संग्रह), नयी डगर (वर्ण पिरामिड संग्रह)। सम्पादन - मन के मोती, मकरंद , सौरभ, मौन मुखरित हो गया (चारो कविता संग्रह ), अँजुरी भर गीत (गीत संग्रह), श
भुतहा किला
एक ऐसा किला जिसमें बहुत प्रेतों का निवास माना जाता है । रात्रि तो क्या दिन के समय भी लोग उस ओर जाने का साहस नहीं कर पाते । किले पर खड़ी सुंदरी जो देखते ही देखते गायब हो जाती है । किले से उठती रक्त जमा देने वाली भयंकर चीख जो सहज ही भयभीत कर देती है ।
भुतहा किला
एक ऐसा किला जिसमें बहुत प्रेतों का निवास माना जाता है । रात्रि तो क्या दिन के समय भी लोग उस ओर जाने का साहस नहीं कर पाते । किले पर खड़ी सुंदरी जो देखते ही देखते गायब हो जाती है । किले से उठती रक्त जमा देने वाली भयंकर चीख जो सहज ही भयभीत कर देती है ।