shabd-logo

भाग 22

31 मार्च 2022

31 बार देखा गया 31
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें

डॉ. रंजना वर्मा की अन्य किताबें

24
रचनाएँ
भुतहा किला
0.0
एक ऐसा किला जिसमें बहुत प्रेतों का निवास माना जाता है । रात्रि तो क्या दिन के समय भी लोग उस ओर जाने का साहस नहीं कर पाते । किले पर खड़ी सुंदरी जो देखते ही देखते गायब हो जाती है । किले से उठती रक्त जमा देने वाली भयंकर चीख जो सहज ही भयभीत कर देती है । क्या रहस्य था उस किले का ? क्या सचमुच वह भूतों का आवास था ? त्रिस्तरीय सिक्योरिटी से देश की सुरक्षा से जुड़ी फ़ाइल कैसे गायब हो गयी ? प्रोफ़ेसर की पत्नी क्या सचमुच मर कर जी उठी थी ? जासूस पवन ने कैसे इन प्रश्नों का हल ढूँढ़ा ? अपनी इन सभी जिज्ञासाओं के समाधान के लिये पढ़िये रहस्य और रोमांच से भरपूर डॉ. रंजना वर्मा का उपन्यास - 'भुतहा किला'।
1

भुतहा किला (भाग 1)

31 मार्च 2022
4
1
1

रात का समय और सन्नाटा । गहन अंधकार चारों ओर छाया हुआ था । वातावरण में निस्तब्धता थी । समुद्र की लहरें अपेक्षाकृत शांत दिख रही थीं । रात के ग्यारह बज चुके थे ।    एक स्टीमर किनारे से लगभग चार किलोमीटर

2

भाग 2

31 मार्च 2022
1
0
0

पता नहीं कितनी देर बेहोश रहा वह । जब उसकी आंख खुली तो कमरे में दिन का उजाला फैला हुआ था । धूल से अंटी टूटी फूटी फर्श पर वह मुंह के बल पड़ा था । पूरा कमरा धूल और कूड़े से भरा था । दीवारों पर जाले लटक र

3

भाग 3

31 मार्च 2022
1
0
0

जब पवन अपनी स्टीमर पर पहुंचा शाम का धुंधलका फैलने लगा था । सदा की ही भांति उसने स्टीमर को चट्टान से अलग किया और स्टार्ट करके समुद्र की ओर चला गया ।  वह दो चट्टानों के बीच से होता हुआ जब खुले समुद्र म

4

भाग 4

31 मार्च 2022
1
0
0

आंखें खोलने पर उसने स्वयं को उसी सूखे तालाब के पास पड़ा पाया । तालाब सूखा हुआ था और उसकी तली में कीचड़ दिखाई दे रही थी । दिन निकले देर हो चुकी थी । सूरज की चढ़ती धूप में अब गर्मी सम्मिलित हो गई थी ।

5

भाग 5

31 मार्च 2022
1
0
0

जब पवन की नींद टूटी तब तक खूब दिन चढ़ आया था । दिन के ग्यारह बजने वाले थे । बस्ती के सभी मछुआरे नावें लेकर मछली पकड़ने जा चुके थे । स्त्रियां बाजार गयी थीं और केवल बूढ़े और बच्चे ही बस्ती में बच रहे थ

6

भाग 6

31 मार्च 2022
1
0
0

पवन ने जब अपनी मोटरसाइकिल ले जाकर प्रोफेसर प्रभाकर के कंपाउंड में खड़ी की उसकी घड़ी उस समय रात के ठीक आठ बजा रही थी । मोटरसाइकिल से उतर कर वह बाहरी बरामदे में चढ़ा और कालबेल की बटन पर उंगली रख दी ।

7

भाग 7

31 मार्च 2022
0
0
0

सीढियाँ समाप्त करके वे जैसे ही नीचे आंगन की ओर पहुँचे उनके रोम-रोम सिहर उठे ।  आंगन का दृश्य रक्त जमा देने वाला था । विशाल आंगन में इस समय चार नर कंकाल पूरे जोशो खरोश के साथ नाच रहे थे ।  नाचते हुए

8

भाग 8

31 मार्च 2022
0
0
0

पवन की आंखें खुली तो उसने स्वयं को एक छोटे किंतु हवादार कमरे में पाया । कमरे की दीवारें छत तथा खिड़कियां और दरवाजे भी सफेद रंग से पेंट किए हुए थे । जिस पलंग पर वह लेटा था वह सफेद पेंट से पुता हुआ था

9

भाग 9

31 मार्च 2022
0
0
0

पवन ने अपनी रेडियम डायल वाली रिस्टवॉच में समय देखा । साढ़े सात बजे हुए थे । इस समय वह उसी रहस्यमयी किले के एक कमरे में कोने में बैठा हुआ था ।  कमरा धूल और मकड़ी के जालों से अटा पड़ा था । कमरा पूरी तरह

10

भाग 10

31 मार्च 2022
0
0
0

फ्लैट पर पहुंच कर उसने ताला खोला और बैग एक कोने में डाल कर सीधा बाथरूम में घुस गया । कपड़े उतार कर उसमें शावर खोल दिया । पानी की ठंडी ठंडी फुहार ने उसकी थकान को पल भर में ही दूर कर दिया । देर तक वह फ

11

भाग 11

31 मार्च 2022
0
0
0

होटल दिलबहार भोजन से निवृत्त होकर पवन ने काफी का ऑर्डर दे दिया था और अब आराम से सिगरेट के कश लेता हुआ कॉपी सिप कर रहा था । जब भी उसका मस्तिष्क उलझन में होता था वह सिगरेट के साथ काफी लिया करता था और इस

12

भाग 12

31 मार्च 2022
0
0
0

ट्रिन ट्रिन । ट्रिन ट्रिन । ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन । लगातार बजती टेलीफोन की घंटी ने उसे नींद से जगा दिया । आंखें मलते हुए उसने घड़ी की ओर देखा । अभी रात के ढाई बजे थे । "कौन आ मरा इस बेवक्त ?" पव

13

भाग 13

31 मार्च 2022
0
0
0

सुबह के साढ़े छै बजे थे जब उसकी नींद अचानक ही उचट गई । हालांकि वह रात तीन बजे के लगभग सोया था फिर भी यह उसकी संकल्प शक्ति का ही प्रभाव था जो सुबह ठीक साढ़े छै बजे वह जग गया । उसने सुबह के सात बजे प्रोफ

14

भाग 14

31 मार्च 2022
0
0
0

तीसरा दिन ... प्रोफेसर प्रभाकर के बंगले में रहते पवन को आज तीसरा दिन था । सुबह की चाय के साथ रहमान ने उस दिन के प्रमुख समाचार पत्र लाकर मेज पर रख दिए थे । चाय का प्याला उठाते हुए पवन ने अखबार उठा लि

15

भाग 15

31 मार्च 2022
0
0
0

वह एक छोटा सा हालनुमा कमरा था जिसके मध्य एक लंबी अंडाकार मेज रखी थी । मेज पर अत्यंत सुंदर हल्के पीले रंग का मेजपोश बिछा था जिस पर छोटे छोटे फूलों के गुच्छे रंगीन धागों से कढ़े हुए थे । मेज के बीच एक पी

16

भाग 16

31 मार्च 2022
0
0
0

बिस्तर पर लेट कर वह फिर उसी समस्या में डूब गया । वह सोचने लगा - क्या वह फाइल देश से बाहर चली गई होगी ? नहीं, इतनी जल्दी यह संभव नहीं लगता किंतु इस संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता । पता नहीं व

17

भाग 17

31 मार्च 2022
0
0
0

दूसरे दिन सुबह उठ कर वह नित्य कर्म से निवृत्त होकर सीधे प्रोफ़ेसर की कोठी पर जा पहुंचा । "अरे पवन ! बहुत सही समय पर आए । आओ, नाश्ता तैयार है ।" प्रोफेसर ने मुस्कुराते हुए उसका स्वागत किया । "इसीलिए

18

भाग 18

31 मार्च 2022
0
0
0

वह रात अंधेरी थी । शायद नवमी की रात । अंधेरा पक्ष और दूर तक फैला सन्नाटा । उस अंधेरे में समुद्र तट पर स्थित चट्टानें किन्हीं भयंकर दैत्यों की सेना के समान प्रतीत हो रही थीं । पवन उस समय काले वस्त्रों

19

भाग 19

31 मार्च 2022
0
0
0

सुबह पाँच बजे ही पवन में बिस्तर छोड़ दिया । तब तक प्रोफ़ेसर प्रभाकर भी उठ चुके थे ।  चाय की टेबल पर पवन ने पूछा - "कैसी है वह ?" "अब बेहतर है । बहुत भूखी प्यासी रही है इसलिए कमजोर हो गई थी । कल रा

20

भाग 20

31 मार्च 2022
1
1
0

अंधेरी पुरानी सुरंग जैसे रास्ते में पवन आगे बढ़ रहा था । उस समय उसका संपूर्ण शरीर सतर्कता की प्रतिमूर्ति बना हुआ था । अंशुल से उसने पहले से ही उस गुप्त मार्ग के विषय में पूरी जानकारी ले ली थी और अब उस

21

भाग 21

31 मार्च 2022
1
0
0

दूसरे दिन .... पवन उस दिन सुबह आठ बजे ही कमिश्नर साहब के घर पहुंच गया । गृह मंत्री द्वारा दिया गया आज्ञापत्र उसे कभी भी किसी भी अधिकारी से मिलने और उसका सहयोग प्राप्त करने के लिए पर्याप्त था ।  कमिश

22

भाग 22

31 मार्च 2022
0
0
0

रात गहरा गई थी । घड़ी की बड़ी सुई बारह के आगे बढ़ गई थी जबकि छोटी सुई बारह तक पहुंचने की कश्मकश में थी ।  बाहर यद्यपि तारों का प्रकाश था किंतु वह इतना ही था कि वृक्ष, इमारतें आदि साये के रूप में ही नज

23

भाग 23

31 मार्च 2022
1
1
0

दूसरे दिन  फोन की लगातार बजती घंटी में पवन को नींद से जगा दिया । लेटे ही लेटे उसने स्पीकर कान से लगा कर कहा - "हेलो !" "मैं कमिश्नर बोल रहा हूँ ।" दूसरी ओर से अधिकार पूर्ण स्वर में कहा गया । "जी,

24

भाग 24

31 मार्च 2022
0
0
0

उसके बाद घटनाक्रम तेजी से बदला । दो दिनों की असीम व्यस्तता और भागदौड़ के बाद पवन, प्रोफेसर प्रभाकर, गृह मंत्री तथा अंशुल गृह मंत्री महोदय के कक्ष में उपस्थित थे । "धन्यवाद पवन जी ! गर्व है हमें आप पर

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए