19 मई 2022
भक्ति लहर बहती हैगङ्गा के तट परकितना निर्मल कितना पावनमानों लहरों की गति के साथबहती स्वर धारामन का रोम रोम खिला देती हैहाँ ये पावन गङ्गासारा दुख हर लेती हैशहर की अनमोल धरोहरजिससे चलता है प