में गुजरात के एक छोटे से शहर सुरत में रहता हु ,में अपने घर मैं अपनी मां और अपनी एक बड़ी बहन के साथ रहता हु ,पिताजी का तो बोहत साल पहले ही कैंसर की वजन से मृत्यु हो गया था उसके बाद घर मैं सिर्फ मैं और मेरी मां और मेरी बड़ी बहन सिर्फ हम तीनो लोग ही रहते थे और घर का सारा बोझ मां उठाती थी यहां तक की हम दोनो भाई बहन का खर्चा भी वही उठाती थी ,और वैसे भी मेरा था पढ़ाई मैं बोहत ज्यादा मन नही लगता था दरसल मेरा मन तो फिल्मों में ही लगता था क्युकी मैं एक एक्टर बनना चाहता था इस लिए बचपन से ही मैं अमिताभ बच्चन जी का बोहत बड़ा फैन था और फिर मैं अपने इन सपनो को देखते देखते एक दिन बड़ा हो गया और १२ वी की कक्षा पूरी करने के बाद मैने मुंबई जाने का मन बना लिया और बाद मैं मैने मां की और अपनी बाहें की परवांगी लेकर मुंबई चला गया ,लेकिन वहा पर भी मारे कुछ अच्छे दिन नही गुजर रहे थे बल्कि वहा जाकर भी मुझे एक्टर बनने के लिए बिहार ही ज्यादा मेहनत करनी पड़ी थी लेकिन वो कहते है ना की मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती फिर एक दिन मेहनत करके मैं हीरो एक एक्टर बन ही गया