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इक समंदर चाहिए

15 सितम्बर 2021

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इक समंदर चाहिये,
मिटा दे जो मन के निशान
बुझ चले हैं अब दिये,
होने लगे जर्जर मकान!
अभी निशा जवान है
अवसान का बस है बखान,
नई इबारत के लिये अब
रेतों पे हो लहरों का गान!!


मौलिक एवं स्वरचित

श्रुत कीर्ति अग्रवाल
shrutipatna6@gmail.com


आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

सुन्दर रचना

15 सितम्बर 2021

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रचनाएँ
Shrut kirti Agrawal की डायरी
0.0
ईश्वर सत्य है, मेरी एक ऐसी रचना है जो हर जगह सराही गई है। यह दुनिया अच्छे और खराब दोनों ही मनःस्थिति के लोगों से भरी पड़ी है जिनको अलग-अलग पहचानना कोई आसान काम तो नहीं। जिसे बुरा समझ कर नकारना चाहा था, वही सबसे आत्मीय निकला और जिसको हमेशा खुश रखने की कोशिश की, उसके हाथ में खंजर निकली।

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