Shrut kirti Agrawal
कथा-कहानी, कविताएँ... इंसान की उत्पत्ति के साथ-साथ अस्तित्व में आए और जब तक इंसान रहेगा, इनका अस्तित्व रहेगा। कभी कलेवर बदलेंगें तो कभी कथ्य, पर दिलचस्पी कभी नहीं घटेगी। इस कड़ी में मैं, श्रुत कीर्ति अग्रवाल, प्रारंभ करने जा रही हूँ दिलचस्पी का एक सफर, अपने पाठकों के संग...
Shrut kirti Agrawal की डायरी
ईश्वर सत्य है, मेरी एक ऐसी रचना है जो हर जगह सराही गई है। यह दुनिया अच्छे और खराब दोनों ही मनःस्थिति के लोगों से भरी पड़ी है जिनको अलग-अलग पहचानना कोई आसान काम तो नहीं। जिसे बुरा समझ कर नकारना चाहा था, वही सबसे आत्मीय निकला और जिसको हमेशा खुश रखने
Shrut kirti Agrawal की डायरी
ईश्वर सत्य है, मेरी एक ऐसी रचना है जो हर जगह सराही गई है। यह दुनिया अच्छे और खराब दोनों ही मनःस्थिति के लोगों से भरी पड़ी है जिनको अलग-अलग पहचानना कोई आसान काम तो नहीं। जिसे बुरा समझ कर नकारना चाहा था, वही सबसे आत्मीय निकला और जिसको हमेशा खुश रखने
ईश्वर सत्य है
"इतने मँहगे कपड़े, सामान और खिलौने लेने की क्या जरूरत है माँ जी ? फिर अभी तो इतने पैसे भी नहीं हैं मेरे पास !" मुक्ता ने कहा पर फिर भी शायद वह उसकी मंशा समझ नहीं सकीं । "पैसे नहीं हैं तो क्या फर्क पड़ता है ? सामान अलग कर कुछ एडवांस दे देते हैं । कल
ईश्वर सत्य है
"इतने मँहगे कपड़े, सामान और खिलौने लेने की क्या जरूरत है माँ जी ? फिर अभी तो इतने पैसे भी नहीं हैं मेरे पास !" मुक्ता ने कहा पर फिर भी शायद वह उसकी मंशा समझ नहीं सकीं । "पैसे नहीं हैं तो क्या फर्क पड़ता है ? सामान अलग कर कुछ एडवांस दे देते हैं । कल