एक जिंदगी की कहानी बताने जा रहा हूं जो कुछ पल के खुशी आज यादों में दफन हो गई । मैं जब भी उस पल को याद करता बस दिल से एक ही आवाज आता ,"क्या फिर मुलाकात करोगी ना"
मैं अपने दिल में यादों की कुछ पन्ने संजोए रखा हूं जो मुझे गम में भी खुशी का एहसास दिलाता है। "हर पल उसकी बातें ,हर पल बिताए लम्हों को ,हर पन्ने पर लिख रहा हूं तेरी यादों को । यह प्यार ही कुछ ऐसा है जो गम को छुपा कर मुस्कुराने पर मजबूर कर देती हैं।
मैं अपनी जिंदगी का बेहतरीन दिन मानता हूं, जब मैं उनसे पहली बार मिला था । उसकी सुंदरता का बखान मैं कर नहीं सकता! उसकी आंखों की झलक यू अनमोल मोती हो, उसकी होठों यू लाल कमल पंखुड़ी हो, उसके लंबे घुंघराले केश यूं मानो घुंघराले बादल हो । उसके रूप का बखान मैं अपने शब्दों में बहुत कम ही कर पाया हूं। बस मैं जब भी उसे देखता हूं परियों की भांति सुंदरता बिखेरते हुए नजर आती है। उसकी मुस्कान से पाषाण भी जलधारा बन जाती है। उस दिन मैं उससे कुछ कह नहीं पाया बस उसे निहारता रहा। ना जाने समय भी कितना कमबख्त है जब मैं उसके पास रहता तो ना जाने दिन कैसे ढल जाता और जब मैं अकेला रहता, पूरी दुनिया घूमने पर भी यह दिन ढलता ही नहीं।
उस दिन रात को थोड़ी बेचैनी सी हो रही थी। मेरे दिल से बार- बार एक ही आवाज आ रही थी ।" क्या फिर मुलाकात होगी, क्या मैं उससे पून: मिल पाऊंगा?"
जब भी मैं अपनी आंखें बंद करता उसकी तस्वीर नजर आती थी। मैं उस रात सो भी नहीं पाया। दूसरे दिन मैं उस जगह 'जहां पर उससे पहली मुलाकात हुई थी' गया और उसके आने का इंतजार करने लगा । कुछ देर बाद वह गलियों से निकलकर मेरे तरफ आने लगी उसे आते देख मुझे बहुत खुशी मिला। वह आकर पेड़ के समीप चबूतरे पर बैठ गई । मैं उसकी तरफ देखता ही रहता, उससे एक पल भी ओझल होने का सवाल भी नहीं उठ रहा था।
आज भी वही रोनक , वही मुस्कान । दिल तो कह रहा था की आज कह ही दो। मैं बहुत कोशिशों से उसके पास गया, मैं उससे बात करने का हिम्मत जुटा ही रहा था कि वह मुझे देख कर मुस्कुराने लगी। जब बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो खत्म होने का नाम भी नहीं ले रहा था कुछ वह बोल रही थी तो कुछ मैं बोल रहा था, यू बातों ही बातों में कब रात होने को चला पता नहीं। कुछ दिन में वह मुझसे पूरी तरह घुल मिल गई और वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गई थी। मुझे अब एहसास होने लगा था की उसे भी प्यार हो गया है पर न वह प्यार का इजहार कर पाती और ना मैं क्योंकि मैं इससे डरता था कि वह मेरी बातों से नाराज न हो जाए। जब भी उससे मुलाकात होती तो,"मैं बस उसे निहारता रहता ,वह कुछ गुनगुनाती और मैं गाता रहता, बस यह सिलसिला यूं ही चलता रहता"
आखिर वह दिन आ गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था । वह दिन मेरे लिए बहुत खास हो गया था क्योंकि उसने अपनी प्यार का इजहार कर दिया था । उस समय मौसम भी सुहाना था। हल्की-हल्की हवाएं चल रही थी । वह दिन मेरे जिंदगी का बहुत खास दिन था। जब उसने मुझसे प्यार का इजहार किया तो मेरे दिल में खुशी के बौछार लग गए। मैं उस समय झूम-झूम कर नाचने लगा और वह मुझे देखकर मुस्कुराने लगी। उस दिन मुझे लग रहा था की एक और नई जिंदगी मिल गई है। अब हर रोज मिलने का सिलसिला,हर रोज नई -नई जगह घूमने का सिलसिला चलने लगा। हां, एक दिन मुझे याद है जब मैं उसके साथ पार्क घूमने गया था, उस दिन हल्की हल्की बारिश हो रही थी, ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी। पक्षी गुनगुना रही थी । उस समय मन करता उसकी प्यारी-प्यारी बातें सुनता रहूं। मैं कुछ समय तक उसके पास बैठकर प्यारी-प्यारी बातें करता और उसकी बातें सुनता रहता । वह अपना प्रेम मेरे ऊपर लुटाने लगी उस समय मैं अपना सिर उसके गोद में रखकर सोया हुआ था और वह मेरे सिर पर हाथ फेर रही थी जैसे मानो कोई बच्चा को प्रेम कर रहा हो। मेरा मन करता यूं ही उसकी गोद में सिर रखकर सोया रहूं और मीठे-मीठे प्यार की दो बातें करता रहूं। उस दिन यूं ही बीत गया। उसकी एक और खास बात, वह मुझ पर अपना बल नहीं डालती। वह ओरो लड़कियों से बिल्कुल अलग थी । वह मुझे पढ़ाई के लिए प्रेरित करती रहती। मुझे एहसास दिलाती रहती "पढ़ाई जीवन का आधार है" जब मैं भटक जाता तो वह सही राह दिखाती आज जो मैं अपनी बातों को ,अपनी प्यार की कहानी को आपके समक्ष रख पाया हूं यह भी उसी ने प्रेरित किया। मैं जिस सपनों की रानी को खोज रहा था वह मुझे मिल गई जो मुझे हर पल हर, समय बालक के समान मेरी परवाह करती। मैं उसके बारे में कितना भी लिख लूं वह कम ही होगा। एक दिन की बात बताता हूं जब मैं कुछ दिनों के लिए नानी के घर आ रहा था तब वह कहती ,"क्या फिर मुलाकात करोगे ना" उसकी यह बात सुनकर आंखें भर उठी और उसे बाहों में भर लिया। कुछ समय तक मुझसे यूं ही लिपटी रही।,"समय हो चुका था बस आ गई थी दिल में भरी प्रेम बार-बार रोक रही थी"
मुझे भी उससे एक पल भी दूर जाने का मन नहीं कर रहा था। जब मैं बस पर चढ़ गया था ,तब मैंने देखा उसकी आंखें नम पड़ गई थी, उसकी होठ सुख गई थी। मैं तभी जोर से चिल्ला कर कहा, "रो मत पगली मैं फिर आऊंगा" यह बोलते हैं उसके होठों पर मुस्कान फिर लौट आई। हालांकि यह बात उसे भी पता था की मैं कुछ दिनों तक ही नानी घर में रहूंगा फिर भी वह मुझे जाते देख अपने आप को रोक नहीं पाई और रोने लगी। लेकिन अब सब ठीक है, उसकी आंखों में पहले की तरह तरलता, होठों पर मुस्कान और चेहरे पर रौनक लौट आई। और उसने हंसते हुए जोर से कहा तुम्हारे आने का इंतजार करती रहूंगी और कुछ ही देर में बस का सफर शुरू हो गया।
----------सूरज पंडित