फूलो के इम्तिहान का कवि: शिवदत्त श्रोत्रियमंदिर में काटों ने अपनी जगह बना लीवक़्त आ गया है फूलो के इम्तिहान का ||सावन में भीगना कहाँ जुल्फों से खेलना बारिश में जलता घर किसी किसान का ||हालात बदलने की कल बात करता थालापता है पता आज उसके मकान का ||निगाह उठी आज तो महसू