घुमक्कड़ी (भाग-4)
हरिद्वार-ऋषिकेश-देहरादून यात्रा
दिनांक : 09 जून 2022
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अगली सुबह आराम से सात बजे उठा गया, जब उठे तो पता चला, हमारे पास वाले खाली दो पलंग पर केरल से दो लोग रात को आकर रुके हुए है। उनसे चाय पीते हुए कुछ बात हुई तो उन्होंने बताया कि वो आज दोपहर में ही केदारनाथ जा रहे है, यहाँ तो केवल वो एक रात के लिए ही रुके है। आज हमारी तो रिवर राफ्टिंग के लिए बुकिंग थी, तो हम बिना नहाएं केवल पजामे और टी-शर्ट में होटल से बाहर निकल पड़े। हमनें राफ्टिंग के लिए ऋषिकेश के कुछ सबसे बढ़िया राफ्टिंग वालों में से एक रेड चिल्ली को बुक किया था। उनका ऑफिस होटल से केवल सौ मीटर की दूरी पर ही था। मैं पहले भी ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग कर चुका हूं, इसलिए मुझे पता था कि राफ्टिंग से जब वापस आएंगे, तब तक दोपहर हो चुकी होगी, इसलिए हमनें एक-एक पराठा और चाय वाली पेट पूजा कर ली थी। उसके बाद ही हम राफ्टिंग वाले ऑफिस पहुँचे। हमनें पच्चीस किलोमीटर वाला पैकेज लिया था, जो की दो हजार प्रति व्यक्ति था। अब ऑफिस वालों ने हमे अपनी गाड़ी से पहाड़ी पर ऊपर राफ्टिंग की साइड पर छोड़ दिया था, गाड़ी में हमारे साथ एक शादीशुदा जोड़ा भी था, जो कि केरल से ही आया था। आज सुबह से केरल वाले लोग ही मिल रहे थे। राफ्टिंग साइड पर हमें और भी लोग मिले, हम यहाँ लगभग 16 लोग जमा हो गए थे। सभी लोगो को एक साथ खड़ा करके राफ्टिंग के लिए निर्देश दिए जाने लगें, हम भी पूरे निर्देशों को बड़े ध्यान से सुन रहे थे, कुछ लोग जो पहली बार राफ्टिंग के लिए जा रहे थे, उनके मन में थोड़ा डर और चिंता थी, इसलिए वो बार बार पूछ रहे थे कि जिसे तैरना नही आता उनके लिए ये सुरक्षित तो है ना? एक नाव पर आठ लोगों को बैठाया जाता है, तो चार लोग तो हम एक साथ आये थे तथा चार लोगों का एक ग्रुप जो कि सभी डॉ. थे, उनमें से एक डॉ साहब तो राजस्थान के भीलवाड़ा के निकले, सब से थोड़ी थोड़ी पहचान हुई और वो भी हमारी नाव पर सवार हो गए। हमारी राफ्टिंग के निर्देशक का नाम प्रवीण था। अब उस नाव में हम कुल नो लोग पानी में गोते लगाने के लिए तैयार थे। प्रवीण ने हमें किस समय क्या करना है, पूरे निर्देश अच्छे से समझाएं, हमें पहनने के लिए लाइफ जैकेट व हेलमेट दिया और नाव को खेने के लिए एक पतवार। साथ-साथ उसने हमें बिना डरे पूरा आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित किया। अब हमारी नाव चल पड़ी, गंगा की लहरों में उड़नखटोला बनके। प्रवीण के निर्देश पर हम आगे बढ़ते जा रहे थे और कई जगह तो उसने पूरे ग्रुप को ही नदी में उतार दिया, हम आठ लोग एक रस्सी को पकड़े पकड़े लाइफ जैकेट के सहारे नदी के बहाव में बह रहे थे। ये मेरे जीवन के कुछ विशेष यादगार पलों में से एक था, क्योंकि मुझें तैराकी नहीं आती है, और पानी से भी थोड़ा डर लगता है, इसलिए पहले राफ्टिंग के समय भी में पानी मे नहीं उतरा था, परन्तु आज जब सबको पानी में उतरते देखा था, मैं भी गंगा मय्या की जय बोलकर कूद पड़ा। एक दो मिनट के बाद आप स्वतंत्र हो और भय मुक्त हो जाते है। आपको लगता है कि आप तैर नहीं रहे बल्कि उड़ रहे है। नदी के प्रवाह के साथ बहते जाना ऐसा है कि आप अपने आपको को बहुत हल्का महसूस करने लगते है, वजन से भी और मन से भी। रास्ते में नाव को किनारे पर रोक कर हमनें कोल्डड्रिंक और चिप्स का स्वाद लिया। लगभग चार घण्टे के बाद हम राफ्टिंग के अंतिम पॉइंट पर पहुँचे। परन्तु मेरे लिए ये जीवन के सबसे अच्छे पलों में से एक पल था जहाँ मैंने स्वयं को भूला के केवल उस पल का आनंद लिया। हम सबने प्रवीण को इसके लिए धन्यवाद किया और राफ्टिंग के दौरान कैमरे में कैद किये गए उन पलों के फोटो और वीडियो देने का आग्रह किया तो उसने बताया कि आप सभी निर्धारित शुल्क जो कि 200 से 250 रुपए प्रति व्यक्ति है देकर हमारे ऑफिस से ले सकते है। ऑफिस से वीडियो और फोटोज लेने के बाद हम वापस होटल आ गए तथा खाना खाकर थोड़ा आराम करने लगे।
शाम के चार बजे हम उठे तथा तैयार होकर नए मिशन की खोज शुरू की तो पता चला कि मई और जून के समय ऋषिकेश से लगभग सोलह किलोमीटर ऊपर शिवपुरी गाँव में निजी कंपनियों के द्वारा अनेक प्रकार के कौतूहल वाले करतबो का आयोजन किया जाता है। जहाँ आप निर्धारित शुल्क देकर अनेक प्रकार के करतब कर सकते है। जैसे क्लिफ जम्पिंग, बॉडी सर्फिंग, फ्लाइंग फॉक्स, स्काई साईकल,जायंट स्विंग। हमनें दो खेल चुने, वैसे मुझें ऊँचाई से भी डर लगता है, इसलिए बड़े झूलों में भी मै कभी नहीं बैठता परन्तु दोस्त साथ हो तो फिर थोड़ा साहस दिखाना पड़ता है। हो गए तैयार कि जो होगा देखा जाएगा। हमनें स्काई साईकल और जॉइंट स्विंग को चुना। पहले स्काई साईकल के लिए गए, यह इतना डराने वाला नहीं था क्योंकि कि साईकल और हमें दोनों को अच्छे से लोहे की रस्सी के साथ जॉइंट कर दिया जाता है जिससे गिरने की संभावना ना के बराबर होती है, वैसे इन सब खेलों में सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है। इसलिए अगर आप ऐसे खेलों और करतबों के शौकीन है तो अपना शौक आप यहाँ पूरा कर सकते है। अब स्काई साईकल तो थोड़ी सी हिम्मत दिखा कर पूरी कर ली, परन्तु जब जॉइंट स्विंग के लिए गया तो गला सूखने लगा, जब ऊपर जाकर प्लेटफार्म पर खड़े हुए तो दोस्त साहब तो कौतूहल से उसे देखने लगे और मेरी जान निकली जा रह थी। पता नहीं मुझें से छोटे छोटे बच्चों को डर भी क्यों नहीं लगता। अन्तः ह्रदय को कठोर करके भगवान का नाम लेकर उस झूले पर बैठ गए, हम दोनों को ठीक से झूले से जॉइंट कर दिया गया, झूला चल पड़ा धीरे धीरे चालीस मीटर ऊपर की ओर, मेरा गला सूखता जा रहा था, कि अचानक चालीस मीटर ऊपर से उसके साथ जुड़ी हुई रस्सी हटी और हम दोनों की काया हवा में लहलहाने लगी। न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का नियम सबसे अधिक इस समय ही समझ आता है, जब आपका दिल, किडनी, गुर्दे सब आपके मुंह से बाहर आने को तैयार हो जाते है। आपके मुंह से अपने आप ही या तो जोर से चीख निकल जाती है या मेरी तरह आवाज बाहर ही नहीं आती। दस सैकंड तक खुद को भगवान के समीप पाते हुए धीरे-धीरे मस्तिष्क को समझ आ गया कि कुछ नहीं होगा बच्चा, ऑल इज वैल। जब झूला आराम से नीचे आ गया और हम उससे नीचे उतर गए तो एक बात समझ आयी कि कुछ चीज़ों के बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहिए, बस उन्हें कर देना चाहिए, आज के पूरे दिन का अनुभव भी यहीं कहता है।
शाम हो चली थी, हल्का-हल्का अंधेरा होने लगा था। हमनें अपनी बाइक उठायी और वापस ऋषिकेश की तरफ चल पड़े, रास्ते में आते समय हम थोड़ी देर नीर झरने के पास रुके, यह जगह भी बहुत सुंदर और रमणीय है। वैसे ऋषिकेश के आस-पास इसके अलावा पटना और हिमशेली झरने भी है, बारिश के समय तो ये झरने बहुत ही बड़ी धारा के साथ बहते है। ऋषिकेश आकर हम सीधे गंगा घाट चले गए तथा आधी रात तक वही पानी मे पैर डाले बैठे कुछ ना कुछ खाते रहे और गंगा के शांत प्रवाह को आँखों में समाते रहे।
(शेष अंतिम भाग- पांच में)
• डॉ. अनिल 'यात्री'