🙏✍हजूर अभी ✍🙏
🥵 मुआवजा नही मिला है 🥵
जीवन दुर्घटनाग्रस्त था,
बिन वस्त्र अस्त व्यस्त था।
भीड़ वायरल वीडियो के चक्कर मे,
गुजरी जिन्दगी अज्ञात वाहन टक्कर मे।
लाश को अभी तक कफन नही मिला है।
हजूर अभी तक मुआवजा नही मिला है।
माॅओ ने महामारी मे लाल खोए है,
दर्द की वैसाखियो संग पिता भी रोये है।
नजरे द्वार पे टिकी नम अंखियाॅ है ,
सूनी बिन लाल शहर की गलियाँ है ।
घर गुजर का सहारा गुजर चला है।
हजूर अभी तक मुआवजा नही मिला है।
लाशे प्रमाण को तरसेगी,
आधार लिए दर दर भटकेगी।
सिस्टम कितने खाते खोल पाएगा,
मुर्दा कागजों मे जब बोल पाएगा।
मौत की दहशत से जीवन हिला है।
हजूर अभी तक मुआवजा नही मिला है।
न्यायालय मे अर्जी कब से पड़ी है,
चौखट पे लाश लिए बुढिया खडी है।
सहारे तारीख को तरस जाऐगे,
विधवा बहू संग बच्चे भूख से मर जाऐगे।
न्यायिक व्यवस्था से न कोई गिला है।
हजूर अभी तक मुआवजा नही मिला है।
बाढ भी गुजरे युग बीता है,
खेत बिन जोत के रीता है।
बीज भी बह गए भावनाओ के,
बर्तन खाली है अब सहायताओ के।
दान पैकेट मे ज्यादा नमक ही मिला है।
हजूर अभी तक मुआवजा नही मिला है।
भूपेंद्र "भोजराज "भार्गव