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🙏😭😭वृक्षारोपण 😭😭🙏
वृक्षारोपण सुन पौधा,
जोर से घबरा गया।
मुझे रोपने सारा आज,
सारा शहर आ गया।
आक्सीजन अलर्ट,
अंतिम सांस पर है।
वृक्षारोपण शायद,
इसी बात पर है।
पता है उखाड़ कर,
कही और लगवाऐगे।
मतलव के नामदार,
प्यासा ही मरवाऐगे।
सुना है मुझे रोपने,
माननीय आ रहे है।
सेल्फी खिचवाने,
काफिला ला रहे है।
खबरी और चैनल,
साथ ही लाएगे।
समारोह का कवर,
खबर संग करवाएगे।
नर्सरी के यारो से,
आज बिछड जाऊगा।
पता नही अकेले अब,
कब तक जी पाऊंगा।
आज की भीड़,
शायद कल नही आएगी।
सिर्फ प्रकृति भी,
कब तक पानी पिलाएगी।
पत्तो को जानवर,
जड सुअर खोद देगे।
तने पे कुल्हाड़ी,
रोपने वाले चला देगे।
मै जीवित हूॅ,
जुवां नही है।
मेरे बिना आपकी भी,
पहचान नही है।
मुझे उखाड़ कर,
कही भी लगाओ।
मुझे पानी देने भी,
रोज एक एक कर आओ।
चलो मिल कर,
वृक्षारोपण कराते है।
धरती को हरियाली की,
चादर उढाते है।
भूपेंद्र भोजराज भार्गव