सुधा..... ये कहानी हैं सुधा की..... एक मध्यम परिवार में जन्मी.... साधारण सी दिखने वाली सुधा की...।।।
जैसे तैसै अपनी पढ़ाई खत्म करके.... घर के कामों में अपनी माँ का हाथ बटाने वाली सुधा को पता भी नहीं था कि आने वाले वक्त में क्या होने वाला हैं....।।।।।
बात हैं आज से दस साल पहले की....5 जूलाई ... 2011....राजस्थान
सुधा ने कुछ समय पहले ही बी.ए.तर्तीय वर्ष की परिक्षा दी थी.... जिसका परिणाम आना अभी बाकी था... पर सुधा और उसके परिवार वालों को पुरा विश्वास था की वो परिक्षा में पास हो जाएगी...।।
सुधा के परिवार में माँ.... पापा..... बड़े भाई.... भाभी.... और एक बड़ी बहन थी.. जिसकी शादी एक सम्पन्न परिवार में दो साल पहले हो चुकी थी...।।।
उसके ससुराल वाले पैसे में थोड़े कम थें.... पर खुले विचारों वाले थे....।।
सुधा के पापा एक रिक्शा चालक थे.... माँ कैंसर की मरीज थी... बड़े भाई एक कपड़े की दुकान पर नौकरी करती थी... परिवार का खर्च ठीकठाक तरीके से चल रहा था... कोई बचत नहीं हो पाती थी.... पर फिर भी सब खुश थें....।।।।
सुधा की माँ को डाक्टर जवाब दे चुके थे... कैंसर आखरी स्टेज पर था.... इसलिए सुधा की माँ जल्द से जल्द अपने जीते जी सुधा के हाथ पीले करना चाहतीं थी.... उसने अपने हर रिश्तेदार को सुधा के लिए घर ढुंढने को बोल रखा था....।।।
5 जूलाई को.... शाम के वक़्त सुधा की एक दुर की मासी का उनके घर के लैंडलाइन पर फोन आया....। फोन सुधा की माँ ने उठाया..... बातचीत से ये पता चला की सुधा के लिए एक रिश्ता आया हैं.... गुजरात से.... परिवार बहुत पैसे वाला हैं.... घर में तीन भाई हैं और एक बहन.... सुधा के लिए दुसरे नम्बर के बेटे का रिश्ता आया था...।।।।
आनन फानन में कुण्डलियाँ मिलाई गई..... कुण्डलियाँ बहुत अच्छी मिली तो सुधा को देखने का कार्यक्रम बनाया गया....।।।
7 जूलाई को लड़के वाले आने वाले थे....।।।।
उस जमाने में मोबाइल फोन तो होतें नहीं थे..... इसलिए सुधा अब तक लड़कें से अन्जान थी.... लेकिन उसे पहले ही कह दिया गया था कि लड़का दिखने में कैसा भी हो तुझे ना नहीं करना हैं.. क्योंकि उसकी माँ की तबियत आए दिन खराब रहती थी... सुधा भी ये बात अच्छे से जानती थी की मम्मी की इच्छा हैं की उसके रहते ही शादी हो जाए इसलिए वो खुद पहले से ही तैयार थी.....।।।
आखिरकार वो वक़्त भी आया और लड़कें वाले आए..... दोनों ने एक दूसरे को देखा और.... दहेज....और लेन देन की बातें हुई..... सब कुछ तय होने के बाद अगले दिन 8 जूलाई को सगाई की रस्म पूरी की गई...।।
साधारण तरीके से सुधा के घर पर ही सगाई की रस्में निभाई गई...।।।।
सुधा और उसके होने वाले पति को कुछ देर के लिए एक अलग कमरे में बातचीत के लिए भेजा गया....।।।
कहते हैं ये वो पल होतें हैं जिसका इंतजार हर लड़की बेसब्री से करती हैं....।।।। लेकिन सुधा के लिए ये पल शायद उसकी जिंदगी के सबसे बूरे अनुभव के रुप में रहने वाले थे...।।।।
आखिर क्या होने वाला था सुधा के साथ.... जानतें हैं अगले भाग में....।।
जय श्री राम....🙏🙏