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खौफनाक रात का मंजर (भाग-1)

30 जुलाई 2022

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रात का डर"                                                         ***********

               " रात के एक बज रहे थे ,रोहन की गाडी खराब हो गई थी इसलिए  वो पैदल ही घर  जा रहा था ,,,,, तभी आचानक  से रोहन को किसी की चिख सुनाई पडती है ,,,, पर  ये चिख कहॉ से आ रही थी ,उसे कुछ समझ मे नही आ रहा था ,फिर वो इधर उधर देखने लगता है ,जब उसे कुछ नही दिखता है तो वो जाने लगत है "••••••?

            " जैसे ही वो एक कदम आगे बढाता है ,फिर चिखने की आवाज  आने लगती है , और वो वही रूक जाता है ,फिर वो बडे ध्यान  से वो चारो तरफ देखने लगता है कि ये चिखने की आवाज  कहॉ से आ रही है "••••••••?

      " चारो तरफ इतना ऑधेरा और सन्नाटा छाया हुआ  था कि कुछ साफ-साफ  दिखाई  नही दे रहा था ,फिर चिखने की आवाज  बंद हो गई" ••••••?

       "जब रोहन को कुछ समझ मे नही आया तो वो फिर चलने लगा ,और रात के सन्नाटे  मे उसे डर भी लग रहा था ,फिर वो तेजी से चलने लगा ,और मन ही मन हनुमान चालीसा का ध्यान जपने लगा ",••••••?

     " थोडी दुर जाने के बाद फिर चिखने की आवाज गुजने लगी आवाज  सुनकर  वो फिर  खडा हो गया और इधर-उधर देखने लगा उसे फिर कुछ दिखाई  नही दे रहा था ,चिखने की आवाज सुनकर वो जोर-जोर से हनुमान चालीसा का जाप करने लगा"•••••••••?

          जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

 

राम दूत अतुलित बल धामा ।

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

 

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।

कुमति निवार सुमति के संगी ॥

 

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।

कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥

 

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।

काँधे मूँज जनेउ साजै ॥

 

शंकर सुवन केसरी नंदन ।

तेज प्रताप महा जगवंदन ॥

 

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।

राम काज करिबे को आतुर ॥

 

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।

राम लखन सीता मन बसिया ॥

 

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।

बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

 

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।

रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

 

लाय सजीवन लखन जियाए ।

श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥

 

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥

 

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।

अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥

 

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।

नारद सारद सहित अहीसा ॥

 

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।

कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

 

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।

राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥

 

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।

लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

 

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

 

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

 

दुर्गम काज जगत के जेते ।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

 

राम दुआरे तुम रखवारे ।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

 

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।

तुम रक्षक काहू को डरना ॥

 

आपन तेज सम्हारो आपै ।

तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥

 

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।

महावीर जब नाम सुनावै ॥

 

नासै रोग हरै सब पीरा ।

जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

 

संकट तै हनुमान छुडावै ।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

 

सब पर राम तपस्वी राजा ।

तिनके काज सकल तुम साजा ॥

 

और मनोरथ जो कोई लावै ।

सोई अमित जीवन फल पावै ॥

 

चारों जुग परताप तुम्हारा ।

है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

 

साधु सन्त के तुम रखवारे ।

असुर निकंदन राम दुलारे ॥

 

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।

अस बर दीन जानकी माता ॥

 

राम रसायन तुम्हरे पासा ।

सदा रहो रघुपति के दासा ॥

 

तुम्हरे भजन राम को पावै ।

जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

 

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

 

और देवता चित्त ना धरई ।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥

 

संकट कटै मिटै सब पीरा ।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६

 

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

 

जो सत बार पाठ कर कोई ।

छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

 

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।

होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

 

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।

कीजै नाथ हृदय मह डेरा ••••••••••••?

    "जब तक वो जाप करता रहा ,तो आवाज  आनी बंद हो गई  , फिर वो चलने लगा ,वो चलते जा रहा था और वो मन ही मन भगवान  का नाम लेते जा रहा था "••••••?

   " रोहन जल्दी  घर पहुंचने के चक्कर  मे ,मेन रोड से ना जाकर जंगल के रास्ते से जा रहा था ,ताकि वो घर जल्दी  पहुंच जाए ,"।

  "पर उसे क्या  पता था कि जो रास्ता घर जाने के लिए  पकडा है ,वो रास्ता इतना डरावनी होगा , जहॉ रह-रहकर चिखने की आवाज  आ रही  थी ,"••••?

   "मन मे भगवान  के नाम लेकर चलते तो जा रहा था ,लेकिन  उसे उतना ही डर भी लग रहा था ,,,,,,, कुछ  दुर जाने के बाद वो चिखने की आवाज  फिर आने लगी ,,,,,,, अब तो आवाज  लगातार  आने लगी "••••••••?

   " फिर रोहन  मन मे सोचता है कि ,अब बहुत  हो चुका,,,,,,  जाकर देखता हूं कि ,,,,,,, ये आवाज  कहॉ से आ रही है ,,,,,,  फिर जिधर से आवाज  आ रही थी, वो उस तरफ जाने लगा , कुछ दुर जाने के बाद उसे झंकाडियो के पीछे एक तालाब दिखा"••••••••?

   "और उस तलाब के पास एक औरत सफेद साडी पहनकर बैठी हुई  थी ,और उसके गौद मे कोई  लेटा हुआ है ,"•••••?

  "फिर रोहन सोचने लगा कि इतनी रात को ये औरत किसको लेकर तलाब के पास  क्यु  बैठी हुई  है ,,,,, जाकर पूछता हूं , शायद कुछ परेशानी हो ,"••••••?

   "ये सोचकर  रोहन उस औरत के पास जाता है ,,,,,, और पीछे से  पूछता है कि ,,,,, सुनिए  मैडम आप इतनी रात को इस तालाब के पास क्यु  बैठी हुई  है , आप को कोई  परेशानी है ,,,,, और इन भाईसाहब  को क्या  हुआ  है ,जो आप इनेह इसतरह  लेकर बैठी है ,"•••••••?

 "वो औरत रोहन के कैसी भी सवाल  का जवाब  नही देती है ,,  , रोहन फिर पूछता है ,,,,,,,, वो हल्लो  मैडम ,,,,  आप कुछ बोल क्यु नही रही है ,,,, क्या  परेशानी है आपको ,,,,, क्या  मै आपकी कुछ मदद कर सकता हूं ,अगर कुछ मदद चहिए  तो बोलिये ,वो औरत फिर भी चुप रहती है ,,, , वो रोहन के सवालो का कुछ भी जवाब नही देती है "•••••••?

   " रोहन फिर उससे कहता है ,वो मैडम आपको मेरी आवाज  सुनाई  नही दे रही है क्या, आप कुछ बोल क्यु  नही रही है ,"•••?

      "रोहन लगातार  उस औरत से बात करता रहता है ,मगर  वो औरत रोहन की तरफ देखती भी नही है ,"••••••••?

" आखिर  वो औरत कौन थी ,इतनी रात को वो अकेले उस तलाब के पास क्या  कर रही थी ,,, उसकी गोद मे कौन लेटा हुआ  था "!

" क्या  रोहन जान पाएगा कि वो औरत कौन थी  "!

 " इन सवालो का जवाब जानने के लिए बने रहे हमारे साथ" ••••••••••••????

धन्यवाद  !!

 

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रचनाएँ
"खौफनाक रात का मंजर "
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काश की उस रात रोहन उस सुनसान रास्ते से नही गया होता ,काश की रोहन उस रात को वो खौफनाक मंजर ना देखा होता ,काश रोहन की गाडी खराब ना हुई होती ,काश,,, काश,,,,काश की वो सब रोहन ना देखा होता जो रोहन ने उस रात को अपनी ऑखो से देखा ,,, आखिर रोहन ने ऐसा क्या देखा जो उसकी दिमागी हालत खराब हो गई, और अपने को एक कमरे मे बंद कर लिया ,क्या उसके जीवन मे कोई ऐसी लडकी आएगी जो उसकी दिमागी हालत को ठीक कल पाएगी ,,,, इन सब बातो को जानने के लिए हमे" खौफनाक मंजर को पढना होगा ,,,,,,,,????

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