नई पाठ्यपुस्तक युवकभारती और बारहवीं के छात्र
हालही में जहाँ एकतरफ पूरा विश्व कोरोना महामारी अर्थात कोविड-19 से त्रस्त है वहीं महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक मंडल पुणे द्वारा बारहवीं कक्षा के लिए हिंदी विषय के पाठ्यक्रम में नई पाठ्यपुस्तक हिंदी युवक भारती प्रकाशित की गई है। ऐसे जटिल समय में नई पाठ्यपुस्तक की पीडीएफ फाइल उपलब्ध कराकर बालभारती ने अत्यंत महत्वपूर्ण व सराहनीय कार्य किया है। नये पाठ्यक्रम में मूलभूत परिवर्तन किया गया है। पुरानी परिपाटी को छोड़कर आज के बदलते परिवेश को लक्षित करके पाठ्यपुस्तक निर्मिति समिति ने बहुत ही सूझबूझ व चतुराई का परिचय देते हुए पाठों का संकलन व समावेश किया है। जिसके अध्ययन व अध्यापन से प्राध्यापकों व छात्रों का बहुआयामी व्यक्तित्व निखरेगा। बेशक इसे आत्मसात करके उनका बहुमुखी विकास संभव हो पाएगा। पर इसके लिए सभी तरह के मूल्यों की निर्मिति व संवर्धन सुनिश्चित करना होगा।
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्राध्यापक और छात्र लेखन कौशल के बदले स्वरूप के रूप में शामिल किए गए व्यावहारिक हिंदी के साथ न्याय कर पायेंगे?
क्या व्याकरण के अंतर्गत शामिल किए गए रस और अलंकार विज्ञान और वाणिज्य के छात्रों के लिए प्रासंगिक व उपयोगी है? क्या विशेष अध्ययन के अंतर्गत शामिल किए गए कनुप्रिया काव्य को पढ़कर छात्रों में हिंदी विषय के प्रति रुचि और रुझान पैदा होगी? पता नहीं, ये तो पाठ्यपुस्तक निर्मिति के सदस्य और अभ्यास समिति के सदस्य ही जानें….। जबकि इस संबंध में लगातार कुछ संस्थाओं व समूहों द्वारा वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है, जिससे प्राध्यापकों का मार्गदर्शन भी हुआ है और उनका उत्साह भी बढ़ा है।
सबसे पहले एक बात मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि यहाँ पर मैं न तो पाठ्यपुस्तक की समीक्षा कर रहा हूँ और न तो उसकी आलोचना कर रहा हूँ। मेरी मंशा सिर्फ इतनी है कि प्राध्यापकों व छात्रों को ध्यान में रखते हुए मन में आये विचारों को व्यक्त करना। …….खैर छोड़िये इन बातों को, जब पाठ्यपुस्तक आ ही गई है तो प्राध्यापक इसकी तैयारी करके अपने आपको उस स्तर तक उठायेंगे, काबिल बनायेंगे। ठीक है….
पर क्या सभी छात्रों के साथ न्याय कर पायेंगे….. शायद नहीं। हम यहाँ पर थोड़े शिथिल पड़ जायेंगे और सामयिक परिस्थितियों के कारण यह तथ्य ग्राह्य हो जाएगा। फिर मूल्यमापन अर्थात मूल्यांकन के समय भी न चाहते हुए थोड़ा सा ढील देना पड़ेगा। अतः सामयिक परिस्थितियों के कारण समझौता ही सबसे अधिक कारगर व उचित जान पड़ता है।
अब सवाल उठता है कि अच्छे अंक लाने के लिए छात्र क्या करें..? कैसे पढ़ाई करें..? वे जिज्ञासु हैं, उत्सुकता अधिक है जो कि स्वाभाविक है। पिछली बोर्ड परीक्षा में हिंदी का सर्वाधिक अंक 99 था। जो कि लातूर के एक छात्रा को प्राप्त हुआ। 90+ तो आम बात हो गयी है। अब तो सभी छात्रों की टकटकी हिंदी विषय की तरफ बँधी है। पर नई पाठ्यपुस्तक और बदला पाठ्यक्रम इनके मनसूबों पर पानी न फेर दे।
ऐसे में अच्छे अंक लाने के लिए छात्रों को किस तरह की योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई करनी होगी? जिससे कि वे अच्छे अंक प्राप्त कर सकें। चलिए थोड़ा सा राहत भरा कार्य करते हुए मैं भी थोड़ा सा सुझाव देने का प्रयास करता हूँ जिससे कि डूबते को तिनके का सहारा मिल जाए।
⏺️अच्छे अंक लाने के लिए छात्रों को पाठ को तीन से चार बार अच्छी तरह से पढ़ना है।
⏺️कठिन शब्दों व प्रसंगों के अर्थ को समझना है।
⏺️शब्द संपदा की तैयारी करते जाना है जिसमें शब्द का अर्थ, पर्यायवाची, उपसर्ग, प्रत्यय, तद्धित, कृदंत, विलोम, भिन्नार्थक शब्द, अनेक शब्दों के लिए एक शब्द, लिंग, वचन आदि का समावेश होता है।
⏺️स्वमत अर्थात अभिव्यक्ति का लिखकर अभ्यास करना चाहिए।
⏺️कविता में भावार्थ और रसास्वादन का अभ्यास करना चाहिए।
⏺️विशेष अध्ययन में भावार्थ व रसास्वादन की तैयारी करनी चाहिए। ⏺️व्यावहारिक हिंदी के अंतर्गत दिए गए पाठों के स्वाध्याय को लिखकर अभ्यास करने की आवश्यकता है। इसमें व्यावहारिक प्रयोग पर आधारित कृतिकार्य करने के लिए पूछा जाएगा।
⏺️व्याकरण में रस, अलंकार, मुहावरे, कालपरिवर्तन और वाक्यशुद्धिकरण पूछा जाएगा।
⏺️अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए समय रहते इनकी तैयारी कर लेनी चाहिए।
⏺️अभ्यासकार्य समय समय पर लिखित रूप में करना चाहिए इससे लिखने का अभ्यास हो जाता है और वर्तनी, लिंग, वचन, कारक व क्रिया के आधार पर त्रुटियाँ होने की संभावनायें कम हो जाती हैं।
➡️उपर्युक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं इसके माध्यम से किसी को ठेस पहुंचाना प्रयोजन या मकसद नहीं है।
➖प्रा. अशोक सिंह