हिन्दी
तुलसी की भक्ति का संबल पा, मर्म की बात बतावत हिन्दी Iसूर की आँखिन में बसि कै, ब्रज बीथिन रास रचावत हिन्दी Iरसखान के अंतस में बसि के, नित प्रेमसुधा बरसावत हिन्दी Iनित स्नेह-सनेही में डूबी हुई, पथ सैकड़ों को दरसावत हिन्दी Iबड़ी बेटी कहावत संस्कृत की, मन मोहनि रूप बनावत हिन्दी Iअवधी ब्रज भोजपुरी बनती, जन