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हिन्दी

21 अगस्त 2015

253 बार देखा गया 253
featured imageतुलसी की भक्ति का संबल पा, मर्म की बात बतावत हिन्दी I सूर की आँखिन में बसि कै, ब्रज बीथिन रास रचावत हिन्दी I रसखान के अंतस में बसि के, नित प्रेमसुधा बरसावत हिन्दी I नित स्नेह-सनेही में डूबी हुई, पथ सैकड़ों को दरसावत हिन्दी I बड़ी बेटी कहावत संस्कृत की, मन मोहनि रूप बनावत हिन्दी I अवधी ब्रज भोजपुरी बनती, जनमानस स्नेह बढ़ावत हिन्दी I तुलसी के मानस में बसि कै, शुचि चन्दन सा महकावत हिन्दी I रसखान के प्रेम में ख़ोई हुई, ब्रज में रसधार बहावत हिन्दी I −डॉ. दुर्गाचरण मिश्र २४८, सी-१ इंदिरा नगर, कानपुर-२६ (प्रस्तुति : अनूप कुमार शुक्ल)
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रचनाएँ
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हिन्दी

21 अगस्त 2015
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तुलसी की भक्ति का संबल पा, मर्म की बात बतावत हिन्दी Iसूर की आँखिन में बसि कै, ब्रज बीथिन रास रचावत हिन्दी Iरसखान के अंतस में बसि के, नित प्रेमसुधा बरसावत हिन्दी Iनित स्नेह-सनेही में डूबी हुई, पथ सैकड़ों को दरसावत हिन्दी Iबड़ी बेटी कहावत संस्कृत की, मन मोहनि रूप बनावत हिन्दी Iअवधी ब्रज भोजपुरी बनती, जन

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साहसी बालक

21 अगस्त 2015
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शुभ वर्षा का समय मेघ नभ में छाये थे,त्रण संयुत थी भूमि दृश्य भी मन भाये थे Iथा शुभ प्रात: काल विहग उड़ते बहु सुन्दर,शीतल मंद सुगन्ध सनी थी पवन मनोहर Iनिज-निज शय्या त्याग शौच से छुट्टी पाकर,चले निरावन खेत कृषक मन में हर्षा कर Iपुस्तक ले निज हाथ चले बालक पाठशाला,कर ईश्वर का ध्यान यती-जन फेरे माला Iदेखो

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महान ब्रह्मावर्त

22 अगस्त 2015
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हमारा ब्रह्मावर्त महान !श्री विष्णु ने नाभि कमल से ब्रह्मा को जन्माया,करो सृष्टि रचना बिठूर में उत्तम क्षेत्र बताया,ब्रह्माजी ने यज्ञ शक्ति से किया सृष्टि निर्माण Iहमारा ब्रह्मावर्त महान !अखिल विश्व का केंद्र बिंदु यह ब्रह्मावर्त कहाता,गड़ी जहाँ ब्रह्मा की खूंटी, जन-जन शीश झुकाता,निकट इसी के आरक्षित

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