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साहसी बालक

21 अगस्त 2015

1305 बार देखा गया 1305
featured imageशुभ वर्षा का समय मेघ नभ में छाये थे, त्रण संयुत थी भूमि दृश्य भी मन भाये थे I था शुभ प्रात: काल विहग उड़ते बहु सुन्दर, शीतल मंद सुगन्ध सनी थी पवन मनोहर I निज-निज शय्या त्याग शौच से छुट्टी पाकर, चले निरावन खेत कृषक मन में हर्षा कर I पुस्तक ले निज हाथ चले बालक पाठशाला, कर ईश्वर का ध्यान यती-जन फेरे माला I देखो छोटा बालक जाता है जंगल से, है अतीव निर्द्वंद मोद प्रिय मन मंगल से I पड़ा अचानक शव्द कान में विस्मित स्वर से, भागो ! भागो !! बचो !!! श्वान से इस कुक्कुर से I अहा अचानक चिहुक बाल ने देखा पीछे, वे चिल्लाये और दौड़ते आते पीछे I किन्तु डरा कब बाल मोद से कोट उतारा, ले चट बाये हाथ साथ ही बूट उतारा I तब तक पंहुचा आन श्वान भी निकट बाल के, हे ईश्वर ! अब बचा प्राण निर्भीक लाल के I अहा ! लपक कर लखो श्वान ने मुह फैलाया, बन कर यम की मूर्ति बाल के ऊपर धाया I किन्तु बाल ने लखो श्वान मुख ढका कोट से, करने लगा प्रहार हाथ में लिए बूट से I तब तक पहुचे आन ग्राम-वासी जन थोड़े I करने लगे सहाय हाथ ले लाठी रोड़े I किया श्वान का अंत बाल मन में हर्षाया, तब उसको था ग्रामजनो ने कंठ लगाया I देखो दे कर ध्यान इसे साहस कहते हैं, इससे ही जन सकल सफलता को वरते है I भारत माँ के लाल बनो निर्भीक साहसी, जिससे बने ‘अनूप’ जननि स्वर्गपि गरीयसी जिससे हो कल्याण विश्व का और देश का, सत्य-अहिंसा पर दुःख कातर निज स्वदेश का I अनूप कुमार शुक्ल ‘अनूप’ ए-५० गौतम विहार , कल्यानपुर, कानपुर
प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

सुन्दर रचना

22 अगस्त 2015

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रचनाएँ
salilsudha-
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इस आयाम के अंतर्गत आप काव्य-रसानुभूति कर सकते हैं I
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हिन्दी

21 अगस्त 2015
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तुलसी की भक्ति का संबल पा, मर्म की बात बतावत हिन्दी Iसूर की आँखिन में बसि कै, ब्रज बीथिन रास रचावत हिन्दी Iरसखान के अंतस में बसि के, नित प्रेमसुधा बरसावत हिन्दी Iनित स्नेह-सनेही में डूबी हुई, पथ सैकड़ों को दरसावत हिन्दी Iबड़ी बेटी कहावत संस्कृत की, मन मोहनि रूप बनावत हिन्दी Iअवधी ब्रज भोजपुरी बनती, जन

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साहसी बालक

21 अगस्त 2015
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शुभ वर्षा का समय मेघ नभ में छाये थे,त्रण संयुत थी भूमि दृश्य भी मन भाये थे Iथा शुभ प्रात: काल विहग उड़ते बहु सुन्दर,शीतल मंद सुगन्ध सनी थी पवन मनोहर Iनिज-निज शय्या त्याग शौच से छुट्टी पाकर,चले निरावन खेत कृषक मन में हर्षा कर Iपुस्तक ले निज हाथ चले बालक पाठशाला,कर ईश्वर का ध्यान यती-जन फेरे माला Iदेखो

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महान ब्रह्मावर्त

22 अगस्त 2015
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हमारा ब्रह्मावर्त महान !श्री विष्णु ने नाभि कमल से ब्रह्मा को जन्माया,करो सृष्टि रचना बिठूर में उत्तम क्षेत्र बताया,ब्रह्माजी ने यज्ञ शक्ति से किया सृष्टि निर्माण Iहमारा ब्रह्मावर्त महान !अखिल विश्व का केंद्र बिंदु यह ब्रह्मावर्त कहाता,गड़ी जहाँ ब्रह्मा की खूंटी, जन-जन शीश झुकाता,निकट इसी के आरक्षित

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