व्रत
शुक्रवार का दिन था अर्थात राधा के साप्ताहिक व्रत का दिन I दिन भर के थके-मांदे पति शिवनारायण साइकिल खड़ी करके जैसे ही घर में घुसे, पत्नी राधा बरस पड़ी, “अब आ रहे हो, कहा था ज़रा जल्दी आने को, तो आज रोज़ से भी देर में आए हो, अब मैं मन्दिर कैसे जाऊँगी I बाबूजी को समय से खाना नहीं मिलेगा तो वे अलग हल्ला मचा