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हज़रत ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रह०

Shafiya Shafiya

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बेशक वो‌ लोग‌ जो कहते हैं कि हमारा रब अल्लाह है‌और उस पर‌ क़ायम रहें,तो फ़रिश्ते कहते हैं कि न डरो,न‌ ग़म करो और ख़ुश रहो उस जन्नत पर जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है। सय्यदना‌ अबु हुरैरा रज़ी० से रिवायत है‌ कि हुज़ूर नबी ए करीम सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया -अल्लाह तआला फ़रमाता है जो‌ मेरे किसी वली से दुश्मनी रखे, मैं उससे एलान ए जंग करता हूं। अल्लाह हू अकबर। ये हम सब का नसीब ‌है कि हम लोगों का नाम हुज़ूर नबी ए करीम सल्लाहो अलैहि वसल्लम के उम्मती और ग़ुलामो की फ़ेहरिस्त में आता है। अल्लाह के अज़म और अख़लीन वलियों में जो बुज़ुर्ग तशरीफ़ लाए वो सय्यदना‌ हजवेरी दाता गंज बक्श रह० हैं,इसके साथ ही जो नायबे रसूल‌ फ़िल हिन्द हज़रत ख़्वाजा ए ख़्वाजगान ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के नाम से जिनको दुनियां जानती है जिनके दर ए अक़दस पर हर किसी चाहे वो ,राजा, बादशाह, वकील, गवर्नर कोई बड़ी हस्ती सब लोग उनके दरबार में चाहे आम हो या ख़ास आज भी हाज़िरी देते हैं और सभी जानते हैं कि आपका यौम ए पाक 6 रजबुलमुर्रजब को होता है। आप ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सूफ़ियाये बर्र ए सगीर में ही नहीं बल्कि सूफ़ियाये इस्लाम में बडे़ क़दावर तरीन लोगों में से एक‌ हैं। आपकी पैदाईश 530 हिजरी में हुई।ये ऐसा वक्त था जब आलिमे इस्लाम बहुत आज़माइश के मरहलो से गुजर रहा था फ़ितने बढ़ रहे थे । अल्लाह पाक ने एक‌ नया इमकान का दरवाज़ा आपके ज़रिए मुसलमानों के लिए खोल दिया। आप ख़ुरासान के मरदम ख़ेज़ इलाके से ताल्लुक़ रखते हैं,वाल्दा की तरफ़ से आप हसनी हैं, और जो हज़रते ग़ौस ए आज़म के नाना हैं वो आपकी वाल्दा‌ के दादा हैं। सुब्हान‌ अल्लाह। आपका ख़ानदान सादात ए हसनी है ,सीज़तान इलाके में सिज़्द कस्बा है,संजर नाम से है। ख़्वाजा साहब अल्लाह तआला का बहुत बड़ा इन्तख़ाब थे।आप जब हिन्दुस्तान की तरफ़ आये तो उससे पहले आपने दाता बख्श साहब लाहौर में छः माह का चिल्ला काटा और ‌दाता‌ गंज बक्श‌के लिए ये फ़रमाया - "गंजे बक्शे फ़ैज़े आलम मज़हरे नूरे ख़ुदा" न किसारा पीर कामिल कामिलसारा रहनुमा " यानि आप से आम और ख़ास सभी को फ़ैज़ मिलता है। ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के पीरो मुर्शिद हज़रत उस्मान हारूनी रह० अलैहि फ़रमाते थे- "मुईनुद्दीन अल्लाह का महबूब है, और मुझे इसके मुरीद होने पर फ़ख्र है"। आप की मुलाक़ात जब शेख़ अब 

hj'rt kh'vaajaa muiinuddiin cishtii ajmerii rh0

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